नारकोटिक्स ब्यूरो अधीक्षक ने की आत्महत्या, कोल्डड्रिंक में जहर मिलाकर पिया, इलाज़ के दौरान मौत

Gwalior

Gwalior News: मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो के अधीक्षक सेल्वा मुर्गन ने सल्फास की गोलियों का सेवन कर आत्महत्या कर ली। जानकारी के मुताबिक अधीक्षक सेल्वा मुर्गन ने कोल्ड ड्रिंक में सल्फास मिलाकर पी लिया था। साथ ही नींद की गोलियां भी खा ली थी। जिसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई। परिवार वालों आनन फानन में अस्पताल लेकर पहुंचे जहां उनकी इलाज के दौरान बीते दिन शनिवार को मौत हो गई। आत्महत्या के बाद पुलिस द्वारा मामले की जांच की जा रही है।

चार अक्टूबर को सल्फास की गोलियां मिलाकर पी कोल्डड्रिंक

मुरार थाना क्षेत्र के बड़ागांव के एमरॉल्ड ग्रीन हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले नारकोटिक्स ब्यूरो के अधीक्षक सेल्वा मुर्गन ने 4 अक्टूबर को घर में सल्फास की गोलियां को कोल्डड्रिंक मिलाकर पिया था। जिसके बाद उनकी तबियत बिगड़ गई। उन्हें अस्पताल में वेंटिलेटर पर रखा गया था जहां पर उनकी मौत हो गई। वहीं अस्पताल से सूचना मिलने पर पुलिस ने बॉडी का पोस्टमार्टम कराया और परिवार के हवाले कर दिया।

31 मई को भी किया था आत्महत्या की कोशिश

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अधीक्षक सेल्वा मुर्गन ने 31 मई को भी आत्महत्या करने  की कोशिश की थी। वो आत्महत्या के लिए रेलवे स्टेशन पहुंच गए थे। जहां पर जीआरपी ने उन्हें बचाया था। जिसके बाद मुर्गन की काउंसिलिंग भी करवाई गई थी।

पारिवारिक विवाद के कारण झेल रहे थे तनाव

जानकारी के मुताबिक अधीक्षक सेल्वा मुर्गन पारिवारिक विवाद के कारण लंबे समय से मानसिक तनाव का शिकार थे। वहीं आशंका जताई जा रही है कि पारिवारिक झगड़ा होने के बाद उन्होंने आत्महत्या कर ली। फिलहाल पुलिस द्वारा मामले की अभी मामले की जांच चल रही है।

 

 


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Shashank Baranwal

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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है– खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो मैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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