ग्वालियर। अतुल सक्सेना।
किसी की आकस्मिक मृत्यु पर उसके घर दुख जताने जाना और उसके लिए आर्थिक सहायता का एलान करना नेताओं शगल बन गया है। लेकिन इसके बाद मृतक के परिजनों को आर्थिक मदद मिली कि नहीं इसकी फिक्र किसी को नहीं रहती। ऐसा ही एक मामला ग्वालियर में सामने आया है। जिसमें एक मासूम की मौत पर खाद्य मंत्री दुख जताने पीएम हाउस ही पहुँच गए थे और 4 लाख मुआवजा दिलाने का एलान भी किया था लेकिन 20 दिन बाद भी परिजनों को मुआवजा नहीं मिला। परेशान परिजनों को लेकर सर्व समाज के लोगों ने संभाग आयुक्त कार्यालय पर दो घंटे का सांकेतिक धरना दिया और 10 लाख रुपए, सरकारी नौकरी और मकान की मांग की।
गौरतलब है कि बीती 9 फरवरी रविवार को क्रिकेट खेल रहे 7 वर्षीय मासूम रचित श्रीवास्तव की स्वर्ण रेखा नाले में गिरने से मौत हो गई थी। हादसे की खबर लगते ही प्रदेश के खाद्य मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर पीड़ित परिवार से मिलने पीएम हाउस ही पहुंच गए थे। चूंकि हादसा उनकी विधानसभा में हुआ था इसलिए उन्होंने जिला प्रशासन की मदद से रेडक्रॉस से तत्काल दस हजार रुपए की सहायता पीड़ित परिवार को दी, साथ ही आश्वासन दिया कि शासन से चार लाख रुपए की मदद जल्द प्रदान की जाएगी और परिवार में एक नौकरी की भी व्यवस्था की जाएगी। लेकिन मंत्री अपना वादा भूल गए और जिला प्रशासन ने भी संजीदगी नहीं दिखाई।
20 दिन बीत जाने के बाद मंत्री तोमर को उनका वादा याद दिलाने के लिए गुरुवार को पीड़ित परिवार के साथ शहर के सर्व समाज ने संभाग आयुक्त और नगर निगम प्रशासक एम बी ओझा के कार्यालय के बाहर दो घंटे का सांकेतिक धरना देकर अपना विरोध दर्ज कराया। धरने में मौजूद समाज सेवियों ने स्वर्णरेखा नाले के निर्माण राशि में हुए भ्रष्टाचार पर भी सवाल उठाये। उन्होंने कहा कि नाले की सफाई के लिए आये फंड का सही उपयोग होता और सफाई हो जाती तो मासूम रचित की जान बच सकती थी। उधर मृतक की नानी ने कहा कि मंत्री ने बड़ी बड़ी बातें की थी लेकिन मदद नहीं की। अब उन्हें 10 लाख रुपए आर्थिक सहायता, परिवार में किसी को सरकारी नौकरी और रहने के लिए एक मकान दिया जाए।