independence day 2024 पर ग्वालियर सेन्ट्रल जेल में बंद 16 बंदियों को मिली रिहाई, नए सामाजिक जीवन का संकल्प दिलाया

जिन बंदियों को रिहा किया गया है वे भी बहुत खुश दिखाई दिए, उन्होंने कहा कि उनसे जो गलती हुई उसकी सजा उन्होंने भुगत ली है, अब वो इस अपराध की दुनिया से तौबा कर रहे हैं, वे अपने परिवार से मिलेंगे, समाज में नै शुरुआत करेंगे।

Atul Saxena
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Gwalior Central Jail

independence day 2024 : स्वतंत्रता दिवस गुलामी से आजादी मिलने का पर्व है, ये खुशियाँ मनाने का त्योहार है, आज देश 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है,  देशभर में खुशियां मनाई जा रही हैं, ये खुशियां जेल की चार दीवारी में बंद उन बंदियों के जीवन में भी आज आई जो उनके द्वारा किये गए अपराध में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे थे, जेल प्रबंधन ने बंदियों को रिहा करते हुए उन्हें एक नए सामाजिक जीवन का संकल्प दिलाया।

16 बंदी हुए रिहा, खुली हवा में साँस लेने का मिला मौका 

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आज प्रदेश की विभिन्न जेलों में बंद 177 बंदी रिहा किये गए, इनमें ग्वालियर सेन्ट्रल जेल में बंद 16 बंदी भी शामिल हैं, बहोड़ापुर क्षेत्र में स्थित सेन्ट्रल जेल परिसर में इन बंदियों के लिए रिहाई प्रक्रिया पूरी की गई और जेल की चार दीवारी से बाहर निकालकर खुली हवा में सांस लेने का मौका दिया गया।

बंदियों को माला पहनाकर, माफ़ी प्रमाणपत्र देकर किया विदा 

डिप्टी जेलर प्रवीण कुमार त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए बताया कि हत्या के अपराध में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे 16 बंदियों को आज जेल मेनुअल में दिए गए प्रावधानों के तहत शासन ने रिहा किया है, उन्होंने कहा कि  मुख्यालय के आदेश पर इन्हें माफ़ी दी जा रही है, बंदियों को माला पहनाकर, माफ़ी प्रमाणपत्र और उनके द्वारा किये गए कार्यों का पारिश्रमिक देकर विदा किया गया है साथ ही नए सामाजिक जीवन और अपराध से तौबा करने का संकल्प दिलाया गया।

रिहा हुए बंदी हुए खुश, अब करेंगे अपराध से तौबा 

उधर जिन बंदियों को रिहा किया गया है वे भी बहुत खुश दिखाई दिए, उन्होंने कहा कि उनसे जो गलती हुई उसकी सजा उन्होंने भुगत ली है, अब वो इस अपराध की दुनिया से तौबा कर रहे हैं, वे अपने परिवार से मिलेंगे, समाज में नई शुरुआत करेंगे।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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