पण्डोखर सरकार ने की अयोध्या को राजधानी बनाने की मांग, कारण भी बताया, पढ़ें पूरी खबर

पण्डोखर सरकार ने कहा राम राज्य में वो क्षमता है,  जो पिछड़े हुए हैं, बिछड़े हुए हैं, जो चले गए है, वो सब एक हो जाएंगे, उन्होंने कहा, मुझे अपने श्रीराम पर इतना विश्वास है, POK भी भारत का हो जाएगा।

Atul Saxena
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Pandokhra Sarkar demand Ayodhya capital of India: प्रभु श्रीराम का मंदिर बन जाने के बाद से प्रत्येक सनातनी के लिए अयोध्या सबसे बड़ा तीर्थ हो गया है, हर कोई राम मंदिर जाकर प्रभु श्रीराम के आगे मस्तक झुकाकर उनका आशीर्वाद लेने चाहते है इसी बीच अब अयोध्या को भारत की राजधानी बनाने की मांग उठी है, एक प्रसिद्द संत ने मांग की है कि राम राज्य लाने के लिए भारत की राजधानी को दिल्ली नहीं अयोध्या होना चाहिए।

पर्चे लिखकर व्यक्ति की शंकाओं का समाधान करने वाले मध्य प्रदेश के प्रसिद्द संत पण्डोखर सरकार संत गुरुशरण महाराज ने आज एक बड़ी मंग कर दी है, ग्वालियर में मीडिया से बात करते हुए पण्डोखर सरकार ने कहा, भारत की राजधानी पूर्व में राम राज्य के समय अयोध्या थी, आज भी राम राज्य की बात की जाती है इसलिए  भारत की राजधानी दिल्ली नहीं अयोध्या होनी चाहिए।

…तो पीओके भी भारत का हो जायेगा 

संत गुरुशरण महाराज ने कहा जब अयोध्या राजधानी हो जाएगी तो राम राज्य आ जायेगा और रामराज्य में वो क्षमता है,  जो पिछड़े हुए हैं, बिछड़े हुए हैं, जो चले गए है, वो सब एक हो जाएंगे, उन्होंने कहा, मुझे अपने श्रीराम पर इतना विश्वास है, POK भी भारत का हो जाएगा।

मध्य प्रदेश का प्रसिद्द धाम है पण्डोखर 

आपको बता दें कि पण्डोखर धाम के पीठाधीश्वर संत गुरुशरण महाराज कई वर्षों से बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की तरह ही पर्चे निकालकर लोगों की समस्या का समाधान करते आ रहे हैं। पण्डोखर धाम मध्य प्रदेश के प्रसिद्द मंदिरों में से एक है जहाँ लाखों लोग अपनी समस्या लेकर आते हैं और पण्डोखर सरकार हनुमान जी महाराज की कृपा से उन्हें लाभ होता है।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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