Sat, Dec 27, 2025

अटल जी के साथ मंदिर में पीएम मोदी विराजमान, विधि विधान से होगी रोज पूजा, पढ़ें पूरी खबर

Written by:Atul Saxena
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अटल जी के साथ मंदिर में पीएम मोदी विराजमान, विधि विधान से होगी रोज पूजा, पढ़ें पूरी खबर

Statue of PM Modi installed in temple on Hindi Day : हिंदी दिवस के अवसर पर पूरे देश में आज कार्यक्रम आयोजित किये गए, लेकिन ग्वालियर में एक ऐसा अनोखा कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता , यहां एक हिंदी प्रेमी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक मंदिर (PM Modi Temple) में स्थापित कर दिया, अब यहां रोज विधि विधान से पूजा अर्चना होगी।

1995 में मंदिर में स्थापित हुई थी अटल जी की मूर्ति  

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर ग्वालियर में देश का इकलौता मंदिर है जहां उनकी मूर्ति स्थापित है, उनके चाहने वाले रोज सुबह शाम मंदिर में पूजा अर्चना करते है, सत्य नारायण की टेकरी पर स्थित इस मंदिर में अटल जी की मूर्ति की स्थापना 1995 में की गई थी तब से आजतक यहां पूजा अर्चना का क्रम जारी है।

हिंदी दिवस पर अटल जी के साथ राजमाता सिंधिया, पीएम मोदी विराजमान

आज इस मंदिर में दो नई मूर्तियां और स्थापित की गई, ये मूर्तियां हैं राजमाता विजयाराजे सिंधिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की, करीब डेढ़ डेढ़ फीट की इन दोनों मूर्तियों को आज विधि विधान से स्थापित किया गया, अब अटल जी के मंदिर में स्थापित पीएम मोदी और राजमाता सिंधिया की मूर्ति की भी रोज पूजा की जाएगी।

अटल जी की तरह ही मोदी की हिंदी सेवी हैं, इसलिए स्थापित की मूर्ति 

एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ से बात करते हुए एडवोकेट विजय सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री मोदी की मूर्ति स्थापित करने की बड़ी वजह बताते हुए कहा कि वे हिंदी के बहुत बड़े सेवक है, वे अटल जी की ही तरह हिंदी के लिए समर्पित हैं इसलिए मैंने आज हिंदी दिवस पर अटलजी के साथ ही उनकी मूर्ति स्थापित की है, विजय सिंह चौहान ने कहा कि राजमाता विजया राजे सिंधिया ने भी हिंदी के लिए बहुत काम किया , मैं तीनों से व्यक्तिगत रूप से मिला हूँ और हिंदी के प्रति उनकी भावना का सम्मान करता हूँ।

हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित किये जाने की मांग 

प्रधानमंत्री मोदी की मूर्ति स्थापित करने वाले एडवोकेट विजय सिंह चौहान हिंदी प्रेमी हैं, वे अखिल भारतीय युवा अभिभाषक  मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, वे देश विदेश में हिंदी के समर्थन में आयोजन करते हैं, वे भारत, नेपाल सहित कई देशों में अब तक करीब 56 सम्मेलन कर चुके हैं,उनकी मांग है कि हिंदी को अब राष्ट्र भाषा घोषित कर देना चाहिए।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट