पुलिस आरक्षक की बेटी ने तीसरी मंजिल से लगाई छलांग, गंभीर हालत में ट्रॉमा सेंटर में भर्ती

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। शहर के बहोड़ापुर थाना क्षेत्र के डीआरपी लाइन में रहने वाली महिला आरक्षक की बेटी ने मंगलवार को अपने घर की तीसरी मंजिल से छलांग लगा। उसे गंभीर हालत में जयारोग्य अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया है। खास बात ये है कि महिला कुछ देर पहले ही बच्ची को ढूंढ कर लाई थी और घर पर ही थी। लेकिन बच्ची पलक झपकते ही कूद पड़ी।

शहर के इंदरगंज थाने में पदस्थ महिला आरक्षक अंगूरी जोशी डीआरपी लाइन में बने सरकारी आवास में रहती हैं। उन्होंने बताया कि रोजाना की तरह वे दोपहर 11:30 बजे इंदरगंज थाने अपनी ड्यूटी पर पहुंच गई थी। थाने पहुँचने के थोड़ी देर बाद उसे घर से फोन आया कि बड़ी बेटी शिवानी घर में नहीं है। इतना सुनते ही वो घर पहुँच गई। उन्होंने शिवानी को तलाशना शुरू किया तो उन्होंने उसे डीआरपी लाइन में बने हनुमान मंदिर के पास शिवानी को बैठे देखा उसे एक दीवान जी लिए बैठे थे जो उन्हें जानते थे। वे उसे समझा-बुझाकर घर ले आई। घर पहुंचकर वे पानी पीने अंदर गई इतनी देर शिवानी तीसरी मंजिल पर चल गई और कूद गई। उसके कूदते ही आसपास के लोग इकट्ठा हो गए और जयारोग्य अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर लेकर भागे जहाँ उसे भर्ती किया गया है। महिला आरक्षक अंगूरी जोशी के मुताबिक उनकी बेटी शिवानी कक्षा 8 में एक बार फेल हो गई थी तभी से उसकी मानसिक स्थिति खराब हो गई। मेंटल हॉस्पिटल के डॉक्टर से उसका इलाज हुआ था वह पिछले कुछ दिनों से सामान्य थी लेकिन वो सुसाइडका प्रयास कर सकती है ऐसी कोई उम्मीद नहीं थी। घटना की जानकारी मिलने के बाद बहोड़ापुर थाना पुलिस अस्पताल पहुँच गई है साथ ही अंगूरी के साथ काम करने वाला स्ताफ़ भी इंदरगंज थाने से अस्पताल पहुँच गया है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।