“महाराज” सिंधिया की शाही परंपरा, तलवार की नोक से छुआ शमी का पेड़, जनता ने लूटा सोना, देखें वीडियो

Atul Saxena
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Dussehra of Scindia Dynasty : आज भले ही देश में रियासतें नहीं हैं लेकिन आज भी शाही परम्पराएं निभाई जाती है इसका जीवंत प्रमाण है सिंधिया सिरायत का दशहरा पूजन। ग्वालियर स्टेट के महाराज सिंधिया ने शमी पूजन की जिस परंपरा को दशकों पहले शुरू किया था उनके वंशज आज भी उनकी इस परंपरा का निर्वाह करते हैं। सिंधिया रियासत के वर्तमान प्रमुख ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज परिवार की शाही परंपरा को निभाते हुए शमी के पेड़ का पूजन किया। हमेशा की तरह जैसे ही सिंधिया ने पूजन के बाद तलवार की नोक शमी के पेड़ पर लगाई वहां मौजूद जनता सोना (शमी के पेड़ की पत्तियां ) लूटने दौड़ पड़ी ।

“महाराज” सिंधिया के साथ उनके पुत्र “युवराज” सिंधिया ने भी किया शमी पूजन

सिंधिया राजवंश प्रमुख एवं केन्द्रीय नागरिक उड्डयन एवं इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ग्वालियर में अपनी  कुलदेवी मांडरे की माता मंदिर के नीचे स्थित दशहरा मैदान पर हर साल की तरह इस बार भी शमी के पेड़ का पूजन किया। सिंधिया राजवंश प्रमुख “महाराज” ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ उनके पुत्र “युवराज” महान आर्यमन सिंधिया ने भी शमी के पेड़ का पूजन किया।

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तलवार की नेक से “महाराज” ने जैसे ही शमी के पेड़ को छुआ, जनता ने लूटा सोना  

सिंधिया रियासत के वर्तमान प्रमुख ज्योतिरादित्य  सिंधिया आज भी अपने परिवार की इस परंपरा को निभा रहे हैं और भविष्य के लिय एअपने पुत्र को तैयार कर रहे हैं।  सिंधिया ने आज सोमवार  23 अक्टूबर 2023 को दशहरा मनाया, उन्होंने शमी के पेड़ का पूजन किया। राज पुरोहित ने मंत्रोच्चार के साथ शमी के पेड़ का पूजन कराया, पूजन के बाद जैसे ही “महाराज” सिंधिया  तलवार की नोक के शमी के पेड़ को छुआ वहां मौजूद ग्वालियर की जनता सोना (शमी के पेड़ की पत्ती) लूटने दौड़ पड़ी।

पिता- पुत्र पहने थे राजसी पोशाक, सिर पर थी शिंदे शाही पगड़ी 

शमी पूजन कार्यक्रम में सिंधिया और उनके पुत्र पारंपरिक राजसी पोशाक पहने थे और सिर पर शिंदे शाही पगड़ी थी। सिंधिया के दशहरा मैदान पहुंचते  ही उनकी रियासत के सरदारों और उनके वंशजों ने उनका रियासती अंदाज में कॉर्निश कर स्वागत किया।

सिंधिया ने दी प्रदेश की जनता को दशहरे की शुभकामनायें 

सिंधिया  ने शहर और प्रदेश के लोगों को दशहरे की शुभकामनायें दी, उन्होंने कहा कि दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, हमें प्रभि श्रीराम से यही शिक्षा मिलती है मैं आप सभी को बधाई देता हूँ और ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि आपके जीवन में खुशहाली आये।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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