केंद्रीय मंत्री सिंधिया का कांग्रेस पर तंज, 2018 में ग्वालियर चंबल ने झोली भरी, बदले में मिली सिर्फ वादाखिलाफी

Atul Saxena
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Gwalior News : केंद्रीय नागरिक उड्डयन एवं इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया आज ग्वालियर आये वे बाल्मीकि समाज के कार्यक्रम में शामिल हुए , सिंधिया ने मंच से कहा कि इस समाज से ग्वालियर से हमारा पारिवारिक नाता है कई पीढ़ी पुराना रिश्ता है लेकिन अब कुछ पंछी आएंगे और आप सबको भ्रमित करेंगे लेकिन आपको चौकन्ना रहना है।

सिंधिया से जब मीडिया ने पंछियों के बारे में सवाल किया तो उन्होंने कहा कि ये सच है, जब चुनाव आते हैं तभी कुछ चेहरे दिखते हैं, वादा करते हैं रेवड़ी बांटते हैं और फिर दुबारा पांच साल बाद दिखते हैं, कांग्रेस पर तंज कसते हुए सिंधिया ने कहा कि 2018 में भी वादे किये थे, उसके बाद 15 महीने  वादा खिलाफी का इतिहास रहा, मैं तो ये मानता हूँ कि जो वादे जनता से किये जाये और फिर उन्हें नहीं निभाया जाये तो इससे बड़ा विश्वासघात नहीं हो सकता हैं, सिंधिया ने कहा कि शिवराज जी के नेतृत्व में ग्वालियर का काया पलट हो रहा है जो कल्पना किसी ने नहीं की थी वो योजनायें धरातल पर उतर रहीं हैं।

सिंधिया ने योजनायें गिनाते हुए कहा कि एलिवेटेड रोड, 1000 बिस्तर का अस्पताल, एक विशाल हवाई अड्डा, शानदार रेलवे स्टेशन , ग्वालियर के लिए पानी की व्यवस्था, बाड़े की 150 साल पुरानी भव्यता की वापसी इन सबकी कल्पना भी नहीं की गई थी लेकिन ये सब सच हुआ, इसे भाजपा ने सच कर दिखाया, क्या कांग्रेस के शासन में ये सपना सच हो सकता था, वो 15 महीने केवल ये कहते रहे, खजाना खाली है, ग्वालियर चम्बल ने कांग्रेस को भरपूर सीट दी लेकिन बदले में भ्रष्टाचार और वादा खिलाफी मिली।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले अलग-अलग समाजों को साथ लेकर राजनीति की शुरुआत हो गई है, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का ग्वालियर दौरा भी इसी की एक कड़ी हैं वे आज ग्वालियर में बाल्मीकि समाज और सिख समाज के सम्मेलन में पहुंचे, बाल्मीकि  समाज ने 12 सूत्रीय मांग पत्र केंद्रीय मंत्री सिंधिया को सौंपा जिसमें ग्वालियर-चंबल की SC,ST की वर्चस्व वाली 7 सीटों पर बाल्मिकी समाज के लिए टिकट की मांग की गई है।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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