Fri, Dec 26, 2025

डॉक्टर के साथ हुई घटना को लेकर गंभीर विधायक

Written by:Mp Breaking News
Published:
डॉक्टर के साथ हुई घटना को लेकर गंभीर विधायक

ग्वालियर।

ग्वालियर के गजरा राजा मेडिकल कॉलेज की प्रोफेसर डॉ प्रतिभा गर्ग के साथ  जिला प्रशासन द्वारा किए गए व्यवहार को लेकर स्थानीय विधायक प्रवीण पाठक ने चिंता जताई है। इस घटना को लेकर डॉक्टर हड़ताल पर हैं और प्रवीण अब उन डॉक्टरों के साथ बैठकर पूरी घटना की जानकारी ले रहे हैं। विधायक बनने के बाद से ही लगातार जयारोग्य अस्पताल के कायाकल्प के अभियान में जुटे विधायक प्रवीण पाठक का मानना है की ग्वालियर की आबोहवा इस तरह की घटनाओं के लिए नहीं है और यहां पर सभी के सामंजस्य के साथ जनहित के कार्य होने चाहिए। प्रवीण ने जिला प्रशासन से भी इस घटना की पूरी जानकारी तलब की है और व्यक्तिगत रूप से मुख्यमंत्री से मिलकर उन्हें इस घटनाक्रम से अवगत कराएंगे।

दरअसल  ग्वालियर की गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर प्रतिभा भगत के क्लीनिक पर पहुंची एसडीएम दीपशिखा भगत की रिश्तेदार कमला राजा अस्पताल में नर्स के पद पर कार्यरत है। कुछ दिन पहले उसकी डॉक्टर प्रतिभा गर्ग से किसी बात पर विवाद हो गया और इस विवाद को उसने अपनी रिश्ते में बहन लगने वाली एसडीएम दीपिका भगत को बताया।

सूत्रों की मानें तो उसी दिन दीपशिखा ने डॉ प्रतिभा को निपटाने की ठान ली थी। बस फिर क्या था आनन-फानन में एसडीएम पहुंच गई प्रतिभा के गर्ग मदर एंड चाइल्ड केयर क्लिनिक पर। उन्होंने वहां मौजूद डॉ प्रतिभा गर्ग से गर्भपात कराने की बात कही। प्रतिभा ने उन्हें समझाया कि पहले बच्चे में अबॉर्शन कराना ठीक नहीं लेकिन दीपशिखा अबॉर्शन की बात पर अड़ी रही। इसके बाद डॉ प्रतिभा ने दीपिका को एक सोनोग्राफी करा कर लाने को कहा। लेकिन दीपशिका नहीं लौटी और थोड़ी देर बाद प्रतिभा को विश्वविद्यालय थाने बुला लिया गया। प्रतिभा को वहां अपराधियों की तरह 9 घंटे बिठा कर रखा गया। जब डॉक्टरों को इस बात का पता चला तो वे वहां इकट्ठे हो गए और उनके दवाब के चलते डॉ प्रतिभा को छोड़ना पङा।

डॉक्टरों का कहना है कि अगर प्रतिभा ने कोई अपराध किया था तो फिर उन पर f.i.r. क्यों दर्ज नहीं की गई। मेडिकल नियमों के मुताबिक किसी भी डॉक्टर को 12 हफ्ते के गर्भ तक गर्भपात करने का अधिकार है और 2 डॉक्टरों की टीम 20 हफ्ते तक का गर्भ गिरा सकती है। इसके बाद भी यदि मेडिकल  जांच में जरूरी हो तो भी अबॉर्शन किया जा सकता है। हैरत की बात यह है कि इस घटनाक्रम के बीत जाने के बाद भी अभी तक ग्वालियर का जिला प्रशासन एसडीएम के पक्ष में कोई सबूत पेश नहीं कर पाया है। फिलहाल ग्वालियर के सभी निजी और सरकारी डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी है और उनकी मांग है कि एसडीएम दीपशिखा को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर उन पर कठोर कार्रवाई की जाए। इस पूरे मामले में ग्वालियर के कलेक्टर की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं कि डॉक्टरों की हड़ताल जैसे संवेदनशील मुद्दे पर उन्होंने भोपाल मुख्यालय में बैठे आला अधिकारियों को सही सूचनाएं क्यों नहीं दी।