साथी को न्याय दिलाने जारी है छात्रों का प्रदर्शन, सवालों के घेरे में एमिटी यूनिवर्सिटी ग्वालियर प्रबंधन, मृतक छात्र पर ही लगा रहा आरोप

यूनिवर्सिटी के वीसी प्रोफ़ेसर वीके शर्मा मृतक छात्र आदित्य पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं उनका कहना है कि यदि वो बीमार था तो डॉक्टर को क्यों नहीं दिखाया, उन्होंने कहा कि वो फिल्म देखने जा सकता है तो डॉक्टर को क्यों नहीं दिखा सकता था

Atul Saxena
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Amity University Gwalior students Protest

Amity University Gwalior : एमिटी यूनिवर्सिटी ग्वालियर के बी फार्मा के छात्र आदित्य सिंह राजपूत की मौत के बाद से छात्रों का गुस्सा उबाल पर है, पिछले करीब 4 दिनों से छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी है, छात्रों का कहना है कि यूनिवर्सिटी प्रबंधन मनमानी करता है कोई छात्र बीमार भी होता है तो उसे छुट्टी नहीं मिलती और इसी कारण आदित्य की मौत हुई, उधर यूनिवर्सिटी के वीसी मृतक छात्र आदित्य पर ही सवाल उठा रहे हैं, वे छात्रों के आंदोलन को भी गलत ठहरा रहे हैं।

बीते रविवार को छात्र आदित्य प्रताप सिंह की मौत हो गई थी, उसके साथियों के मुताबिक वो पिछले सात दिन से बीमार था और छुट्टी मांग रहा था लेकिन यूनिवर्सिटी ने उसे छुट्टी नहीं दी जिसकारण उसकी तबियत बिगड़ गई, उसके प्लेटलेट्स कम होते गए और अस्पताल में उसकी मौत हो गई, छात्रों का कहना है कि 80 प्रतिशत अटेंडेंस पूरी करने के लिए यूनिवर्सिटी छात्रों पर दबाव बनाती है चाहे किसी भी छात्र को कोई भी परेशानी क्यों ना हो।

चार दिन से छात्र कर रहे विरोध प्रदर्शन 

साथी छात्र को बीमारी के बाद भी छुट्टी नहीं मिलने से उसकी मौत होने के बाद से यूनिवर्सिटी के छात्र गुस्से में हैं वे पिछले 4 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं और छुट्टी मंजूर करें वाले विभाग के अधिकारी को हटाने की मांग कर रहे हैं, आज छात्रों ने सुबह सुबह यूनिवर्सिटी गेट पर ताला लगा दिया बाद में समझाइश के बाद वे अन्दर गए और कैम्पस में धरने पर बैठ गए।

वीसी बोले हमारे यहाँ मेडिकल लीव का कोई प्रावधान नहीं, मृतक छात्र पर उठाये सवाल 

उधर छात्र की मौत के बाद भी यूनिवर्सिटी प्रबंधन संवेदनशील दिखाई नहीं दे रहा है, यूनिवर्सिटी के वीसी प्रोफ़ेसर वीके शर्मा मृतक छात्र आदित्य पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं उनका कहना है कि यदि वो बीमार था तो डॉक्टर को क्यों नहीं दिखाया, उन्होंने कहा कि वो फिल्म देखने जा सकता है तो डॉक्टर को क्यों नहीं दिखा सकता था , उन्होंने कहा कि अटेंडेंस का हमने नहीं बनाया फार्मेसी काउन्सिल ऑफ़ इंडिया ने ही 80 प्रतिशत अटेंडेंस का नियम बनाया है , उन्होंने कहा कि हमारे यहाँ मेडिकल लीव का कोई नियम नहीं है फिर भी कोई बच्चा बीमा होता है तो हमारे यहाँ डॉक्टर हैं एम्बुलेंस हैं हम उसे अस्पताल ले जाते हैं, उन्होंने छात्रों के प्रदर्शन पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये छात्र अपने फायदे के लिए अटेंडेंस का मुद्दा बनाकर हंगामा कर रहे हैं जिससे उन्हें फायदा हो जाये।

बहरहाल यहाँ बड़ा सवाल ये है कि देश की नामचीन एमिटी यूनिवर्सिटी में क्यों मेडिकल लीव का कोई प्रावधान नहीं है, जिसके चलते एक होनहार छात्र की जान चली गई। यानि आप यदि बीमार पड़ जाएँ तो छुट्टी नहीं मिलेगी क्योंकि यदि छुट्टी दी अटेंडेंस शोर्ट हो जाएगी, जो यूनिवर्सिटी होने नहीं देगी, मतलब साफ है एमिटी यूनिवर्सिटी में संवेदना की कोई जगह नहीं है। खैर अब देखना ये होगा कि आदित्य सिंह की पीएम रिपोर्ट आने के बाद पुलिस क्या एक्शन लेती है वो एक छात्र की मौत पर कितनी संवेदनशीलता दिखाती है या फिर नियमों का हवाला देकर फ़ाइल बंद कर देती है और छात्रों को उनके भाग्य के भरोसे यूनिवर्सिटी के नियमों के मकड़जाल में छोड़ देती है।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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