ग्वालियर, अतुल सक्सेना। पर्यटन मंत्रालय के अधीन काम करने वाले देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान IITTM ( Indian Institute of Tourism and Travel Management) के छात्रों ने आज हंगामा कर दिया। हॉस्टल में रहने वाले स्टूडेंट्स मैस में ख़राब खाना परोसे जाने से आक्रोशित थे। छात्रों ने आरोप लगाया कि मैस में चूहे घूमते रहते हैं , यहाँ का खाना खाकर कई स्टूडेंट्स बीमार भी हो गए, प्रबंधन से शिकायत के लेकिन वो स्टूडेंट्स की बात ही नहीं सुनते।
भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंध संस्थान ग्वालियर (Indian Institute of Tourism and Travel Management Gwalior) केंद्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय (Ministry of Tourism) के अधीन काम करने वाली एक ऑटोनोमस बॉडी है यहाँ पर्यटन शिक्षा में प्रबंधन से जुड़े कोर्स करने वाले करीब 400 स्टूडेंट्स हॉस्टल में रहते हैं। आज इनमें से कई स्टूडेंट भड़क गए और हंगामा करने लगे।
स्टूडेंट्स (IITTM Gwalior ) ने आरोप कि संस्थान की तरफ से घटिया खाना मैस में परोसा जा रहा है। मैस से लेकर खाने के स्टोर रूम तक में चूहे घूमते रहते हैं। यही कारण है कि आए दिन छात्र-छात्राएं फूड प्वाइजन का शिकार हो रहे हैं, लेकिन संस्थान प्रबंधन इस तरफ कोई ध्यान नहीं देता है। स्टूडेंट्स ने कहा कि इस ख़राब खाने (Students uproar over poor food quality of IITTM Gwalior) के कारण हमारे कई साथी बीमार भी हो गए लेकिन प्रबंधन कोई सुनवाई नहीं करता। करीब 40 से 50 प्रतिशत बच्चे पेट संबंधी बीमारियों का शिकार हैं।
स्टूडेंट्स के अचानक हंगामा करने से प्रबंधन एक्शन में आया, IITTM के नोडल अधिकारी चंद्रशेखर बरुआ सहित अन्य अधिकारियों को स्टूडेंट्स को समझाइश दी और हंगामे को शांत कराया। लेकिन कैंटीन संचालक से लेकर प्रबंधन के अधिकारी स्टूडेंट्स के आरोपों को निराधार और असत्य बताते रहे।
नोडल अधिकारी चंद्रशेखर बरुआ ने मीडिया से कहा कि कोई छात्र बीमार नहीं हैं, यदि किसी छात्र को पेट दर्द हुआ है तो ये सामान्य बात है किसी को भी हो सकता है, ख़राब खाने की बात गलत है सभी से बात हो गई है , अब इन्हें ही अपना मेन्यू तय करना है उसके हिसाब से खाना बनेगा।
हंगामे के सवाल पर बरुआ ने कहा कि जब स्टूडेंट्स की संख्या अधिक होती है तो ऐसे बातें होती हैं। साफ सफाई और चूहे घूमने के आरोप का जवाब देते हुए उन्होने इसे गलत बताया और कहा कि आप मेरे साथ चलिए और खुद देख लीजिये।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....