स्वच्छ सर्वेक्षण 2021: दो पायदान नीचे खिसका ग्वालियर, मिला 15 वां स्थान, प्रभारी मंत्री के निर्देश हुए हवा

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 (Swacch Survekshan 2021) के नतीजे घोषित हो चुके हैं।  राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश के साफ शहरों को आज शनिवार को दिल्ली में पुरस्कार दिए। खास बात ये है कि इस बार भी इंदौर ने देश में पहला स्थान बरकार रखते हुए मध्य प्रदेश का मान बढ़ाया है। लेकिन स्वच्छ शहरों की सूची में ग्वालियर (Gwalior News) दो पायदान नीचे खिसक गया है। इस बार ग्वालियर को 15 स्थान मिला है वहीं भोपाल 7 नंबर पर है।

केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने देश के स्वच्छ और कचरा मुक्त शहरों की सूची जारी की इसमें ग्वालियर को तगड़ा झटका लगा है।  सफाई के मामले में ग्वालियर दो पायदान नीचे खिसकते हुए 13 से 15 नंबर पर आ गया है।  इस रैंकिंग ने ग्वालियर नगर निगम की कार्यशैली पर तो सवाल खड़े किये ही हैं साथ ही इस बात को भी उजागर किया है कि अधिकारी प्रभारी मंत्री तक के निर्देशों को हवा में उड़ाने से नहीं घबराते।

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ग्वालियर के प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट (Tulsiram Silawat) ने एक बार नहीं कई बार ग्वालियर नगर निगम अधिकारियों को निर्देश दिए कि ग्वालियर को सफाई के मामले में इंदौर के बराबर लाना है, विधानसभावार टीमें बनाकर सफाई करवानी है।  ग्वालियर को गन्दगी मुक्त कर साफ़ सुथरा बनाना है।  प्रभारी मंत्री ने अल्टीमेटम भी दिए लेकिन अधिकारियों ने उन पर कितना अमल किया नतीजा सबके सामने है।

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हालाँकि नगर निगम कमिश्नर (Gwalior Municipal Corporation) ने डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का अभियान भी चलाया लेकिन फिर भी स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 के जो नतीजे आये उसने नगर निगम के काम की पोल हॉल दी।  पिछली बार ग्वालियर वाटर प्लस से चूक गया और इस बार स्वच्छ सर्वेक्षण में दो पायदान निचे खिसक गया।  ये सब बताता है कि ग्वालियर नगर निगम के अधिकारियों और शहर के लोगों में ग्वालियर को साफ़ रखने की इच्छाशक्ति में कितनी कमी है।

 

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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