कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंची महिला ने किया आत्महत्या का प्रयास, मचा हड़कंप

Atul Saxena
Published on -

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंची एक महिला ने आज बच्चों सहित आत्महत्या का प्रयास किया। प्रशासन के अधिकारियों से पीड़ित महिला कलेक्टर के पास शिकायत लेकर पहुंची लेकिन जब उसे यहाँ भी आश्वासन मिला तो उसने अपना आपा खो दिया और अपने साथ लेकर गई पेट्रोल खुद के ऊपर उड़ेलने लगी लेकिन वहां मौजूद पुरुषों ने उसे ऐसा करने से रोक दिया और एक बड़ा हादसा टल गया।

ग्वालियर कलेक्ट्रेट में पहुंची पिछोर निवासी महिला भूरी ने तीन बच्चों सहित पेट्रोल छिड़ककर आत्महत्या की कोशिश की। जनसुनवाई के चलते कलेक्ट्रेट में भीड़ थी इसलिए वहां मौजूद भीड़ ने उसके हाथ से पेट्रोल की बोतल छीन ली और एक बड़ा अनर्थ होने से रोक लिया।

पीड़ित महिला भूरी ने मीडिया को बताया कि 7 महीने पहले उसके पति सलमान की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी , जिस गाड़ी से दुर्घटना हुई उसके ड्राइवर ने कहा कि मैं तुझे हर महीने 3 हजार रुपये दूंगा, गाड़ी मालिक से 2 लाख रुपये और सरकार से 5 लाख रुपये दिलवाऊंगा तू रिपोर्ट नहीं कर।

महिला ने रोते हुए कहा कि मैंने ड्राइवर की बात मानकर पुलिस में रिपोर्ट नहीं की।  आज 6 महीने हो गए ड्राइवर ने कोई मदद नहीं की। अधिकारियों के पास चक्कर लगा रही हूँ तो वो कभी पिछोर कभी डबरा भगा देते हैं , कलेक्ट्रेट भी आ चुकी हूँ लेकिन कोई मदद नहीं हुई इसलिए इस बार सोचकर आई हूँ कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा जाउंगी नहीं, और बच्चों सहित आत्महत्या कर लूँगी।

पीड़ित विधवा महिला ने कहा कि उसकी सास ने ससुराल शुक्लहारी से भगा दिया कहती है दूसरी शादी कर ले, मेरे भाई शराब पीते हैं, भाभियाँ मारकर भगा देती हैं , सरकार सुन नहीं रही। मेरे पास रहने के लिए ना घर  ना खाने के लिए रोटी। मेरे बच्चे भीख मांगकर खा रहे हैं इससे तो मर जाना ही ठीक है।

उधर कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने कहा कि महिला के पति की एक्सीडेंट में मौत हो गई थी, उसने आर्थिक सहायता के लिए आवेदन किया है , मैं मामले को दिखवा रहा हूँ, इनकी सम्बल की पात्रता दिखवा रहा हूँ , फ़िलहाल मैं 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता अपनी तरफ से महिला को दे रहा हूँ।


About Author
Atul Saxena

Atul Saxena

पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

Other Latest News