ग्वालियर/अतुल सक्सेना
देश की विरासत, योद्धाओं के शौर्य और संस्कृति को दूसरों तक पहुँचाने वाला वर्ग आज परेशान है। लॉक डाउन ने इनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा कर दिया है। केंद्र और राज्य सरकार सभी वर्ग और ट्रेड के लिए सोच रही है लेकिन ये वर्ग और ट्रेड ऐसा है जो महत्वपूर्ण होते हुए भी सरकार की निगाह से दूर है। इसी वर्ग और ट्रेड के लोगों ने बुधवार को ग्वालियर फोर्ट के सामने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए धरना दिया और मदद की गुहार लगाई।
मार्च से मई तक तीन महीनों में करीब एक लाख देशी-विदेशी सैलानी ग्वालियर किला देखने आते थे, कई बार हालात ऐसे हो जाते हैं कि ग्वालियर फोर्ट पर पैर रखना तक मुश्किल हो जाता है। लेकिन लॉक डाउन में सब ठप हो गया। हमेशा गुलजार रहने वाला ग्वालियर फोर्ट आज सूना पड़ा है। जिसका असर पर्यटन से जुड़े कारोबारियों के साथ-साथ सैलानियों के भरोसे रहने वाले टूरिस्ट गाइड पर भी पड़ा है। वे काफी मायूस हैं उनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। उनकी तकलीफ ये है कि सरकारें सभी वर्ग और ट्रेड की चिंता कर रही है लेकिन हमारी क्यों नहीं? अपनी मांगों को लेकर करीब 20 टूरिस्ट गाइड बुधवार को ग्वालियर किले पर धरने पर बैठे गए। इन गाइड्स का कहना है कि लॉक डाउन के दौरान शासन प्रशासन ने सभी की मदद दी है, लेकिन गाइड के लिए कुछ नहीं सोचा। हम अपने देश प्रदेश की विरासत, योद्धाओं के शौर्य अपने देश की संस्कृति को विदेशी सैलानियों तक पहुंचाते हैं लेकिन आज हमारा ही भविष्य दांव पर लगा है। गाइड कहते हैं कि लॉक डाउन खुलने से सभी रोजगार शुरु हो जाएंगे, लेकिन हमें तो अभी और इंतजार करना पड़ेगा। इसलिए सरकार और प्रशासन हमारी मदद करे। उधर गाइड के धरने की खबर के बाद कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह का कहना है कि धीरे धीरे शहर में बाजार खोले जा रहे हैं जल्दी ही इनके लिए भी वैकल्पिक रोजगार के साधन और मदद उपलब्ध कराये जायेंगे।