ठग ने WhatsApp नंबर के डीपी पर लगाई कुलपति की फोटो, प्रोफेसर्स से मांगा पैसा

Atul Saxena
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ग्वालियर , अतुल सक्सेना। जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर (Jiwaji University Gwalior) के कुलपति प्रोफेसर अविनाश तिवारी (JU Vice Chancellor Professor Avinash Tiwari) के नाम पर साइबर ठगी (cyber thugs) का एक मामला सामने आया है। साइबर ठग ने अपने व्हाट्सएप नंबर पर डीपी की जगह कुलपति प्रो तिवारी की फोटो लगा दी और फिर जीवाजी विश्वविद्यालय के प्रोफसर्स को रुपयों की मांग वाले मैसेज भेजे। कुलपति ने इसके खिलाफ पुलिस (Gwalior Police) में शिकायत दर्ज कराई है।

साइबर ठगों के खिलाफ ग्वालियर पुलिस द्वारा की जा रही लगातार कार्रवाई के बाद भी ठगों की हरकतें कम नहीं हो रही। ताजा मामला जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलपति के नाम से ठगी के प्रयास का सामने आया है। दर असल जीवाजी विश्वविद्यालय के कुछ प्रोफेसर्स के मोबाइल व्हाट्सएप नंबर पर एक मैसेज आया जिसमें पैसों की मांग की गई। जिस नंबर से मैसेज आया उसकी डीपी पर कुलपति प्रोफेसर अविनाश तिवारी को फोटो लगी थी तो वे सोच में पड़ गए।

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व्हाट्सएप मैसेज भेजने वाले ठग ने कुलसचिव को मैसेज लिखा “hello how are you” फिर लिखा “where are you the moment” लिखा और फिर जैसे ही जवाब आया, पैसों की जरुरत होने के मैसेज भेज दिया। मैसेज पढ़कर वे सोचने लगे कि आखिर कुलपति सर को पैसों की क्या जरुरत है? और है भी तो वे फोन कर सकते थे मैसेज क्यों किया ?

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शंका समाधान के लिए उन्होंने कुलपति प्रोफेसर अविनाश तिवारी को फोन लगाकर हकीकत पूछी तो उन्होंने ऐसे किसी भी मैसेज और जरुरत से इंकार कर दिया। कुछ देर बाद कुछ अन्य प्रोफेसर्स के पास भी मैसेज आने लगे।  लेकिन कुलपति के इंकार करने के बाद सभी को समझ आ गया कि ये किसी साइबर ठग की करतूत है वो कुलपति के नाम पर पैसे ऐंठना चाहता है।

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मामला सामने आने के बाद कुलपति ने पुलिस अधीक्षक को इसकी लिखित शिकायत की है। पुलिस का कहना है कि नंबर के आधार पर जल्दी ही ठग को गिरफ्तार किया जायेगा। उधर जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ सुशील मंडेरिया ने कहा कि विश्वविद्यालय के सभी स्टाफ को निर्देश दे दिए हैं कि ऐसे किसी भी मैसेज अथवा मेल को गम्भीरता से नहीं लें।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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