ग्वालियर, अतुल सक्सेना। शांत और सरल स्वभाव की छवि रखने वाले ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर किशोर कन्याल (Gwalior Municipal Corporation Commissioner Kishor Kanyal) का आज अलग ही रूप देखने को मिला। उन्होंने सफाईकर्मियों की तरफदारी करने वाले नेताओं को ना सिर्फ फटकार लगाई बल्कि दो टूक शब्दों में कह दिया, मुझे ग्वलियर में सफाई चाहिए, नेतागिरी नहीं। जिसे नेतागिरी करनी हैं घर बैठे, जो काम करेगा वही रहेगा और उसे ही वेतन मिलेगा। कमिश्नर ने सफाई में लापरवाही बरतने वाले एक वार्ड हेल्थ ऑफिसर को निलंबित कर दिया।
ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर किशोर कन्याल शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर बहुत संजीदा हैं, उनपर ग्वालियर को स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 में (Swachh Survekshan 2022) अच्छी रैंकिंग भी दिलवाने के प्रेशर है। निगम कमिश्नर अपने अधिकारियों के साथ लगातार सफाई व्यवस्था की खुद मॉनिटरिंग भी कर रहे हैं और जो सफाईकर्मी ड्यूटी से अनुपस्थित मिलते हैं ये सफाई को लेकर लापरवाही करते है उनके खिलाफ निलंबन और बर्खास्तगी जैसी कार्रवाई भी की जा रही है।
नगर निगम कमिश्नर किशोर कन्याल ने शहर के विभिन्न स्थानों पर भ्रमण कर शहर की साफ सफाई व्यवस्था को देखा। उन्हें क्षेत्र में सफाई व्यवस्था में लापरवाही दिखाई दी तो उन्होंने क्षेत्र के वार्ड हेल्थ ऑफिसर श्री जर्मन को निलंबित कर दिया। सफाईकर्मियों पर लगातार हो रही कड़ी कार्रवाई को देखते हुए कुछ कर्मचारी नेता कमिश्नर ने उन्हें वापस रखने की मांग करने लगे।
सफाईकर्मियोंके नेता श्री चौहान ने सफाईकर्मियों की तरफदारी शुरू की तो कमिश्नर श्री कन्याल ने उन्हें टोकते हुए कहा कि आप शहर की सफाई की जिम्मेदारी ले रहे हैं क्या चौहान साहब, कर्मचारी नेता कुछ पाते उससे पहले ही कमिश्नर किशोर कन्याल का पारा आसमान पर चढ़ गया।
उन्होंने फटकार लगाते हुए कहा कि मुझे सफाई चाहिए, नेतागिरी नहीं, जिसे नेतागिरी करनी हैं घर बैठे। जो काम करेगा वही नगर निगम में रहेगा और उसे ही वेतन मिलेगा। शांत छवि वाले अधिकारी का एंग्री ऑफिसर वाला नया अंदाज दिखाई देने के बाद सफाईकर्मियों में सन्नाटा खिंच गया। कमिश्नर के गुस्से वाला ये वीडियो इस समय सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....