टमटम में शव, हत्या मानवता की, ग्वालियर का वीडियो हुआ वायरल

Gwalior News : इन्सान की जब मृत्यु हो जाती है तो उसके शव को बड़े ही सम्मान के साथ विदा करने की परंपरा सनातन धर्म की पुरानी परंपरा है जिसे निभाना हम सभी का दायित्व है लेकिन आज कई बार ये देखने में आया है कि जिम्मेदारों को इससे कोई मतलब नहीं है, शव उनके लिए एक सिर्फ बॉडी है और उसकी बेकद्री करने में उन्हें कोई गुरेज भी नहीं होता ..

फिर मानवता हुई शर्मसार …

मध्य प्रदेश के अलग अलग हिस्सों से शव की बेकद्री और मानवता के शर्मसार होने के मामले कई बार आते रहते है आज भी एक मामला सामने आया है ये है ग्वालियर का .. ग्वालियर में आज शुक्रवार की सुबह एक ऐसा दृश्य सामने आया जिसे देखकर लोगों का मन गुस्से से भर गया।

ई रिक्शा में ले जा रहे थे शव, वीडियो वायरल  

सिटी सेंटर क्षेत्र से एक टमटम वाहन  (ई रिक्शा ) में शव जा रहा था आगे ड्राइवर सीट पर दो व्यक्ति बैठे थे, एक टमटम चला रहा था दूसरा शव के साथ वाला था। शव को देखकर बाइक सवार दो लड़कों ने इसका वीडियो बना लिया और इसे वायरल कर दिया,  लड़कों ने जब उनसे बात की कि क्या एम्बुलेंस या शव वाहिका नहीं मिली तो उनमें से एक ने कहा हाँ, दूसरा बोला लावारिस है।

जिम्मेदारों ने नहीं निभाई अपनी जिम्मेदारी 

यानि यदि शव लावारिस भी है तो जहाँ इसे अंतिम संस्कार अर्थात दफ़नाने के लिए (लावारिस शव को दफनाया जाता है) भेजा जा रहा है वहां तक के लिए तो वाहन की व्यवस्था अस्पताल को करनी थी, जब शव पोस्ट मार्टम हॉउस से निकला तो जिम्मेदारों की इतनी मानवता तो रखनी थी कि इसे ससम्मान भेजते।

दर्द तो उसे होता है जिसका कोई अपना जाता है 

लेकिन इनमें कहाँ बची है इतनी मानवता, इनके लिए तो किसी इंसान का शव केवल एक बॉडी है जिसका इन्हें पोस्ट मार्टम करना है और उसे पैक कर दे देना होता है, दर्द तो उसे होता है जिसका कोई अपना इस दुनिया से जाता है।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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