ग्वालियर, अतुल सक्सेना। भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन करने के बाद “महाराज” ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) बदल गए हैं। उनका अंदाज बदल गया है, उनके आसपास अब पहले जैसी नेताओं की भीड़ जमा नहीं रहती, वे अब खुद जनता के बीच चलकर जाते हैं और इस बात का अहसास कराते हैं कि मैं सच में जनसेवक हूँ। पिछले ग्वालियर दौरे के दौरान सिंधिया ने जहाँ एक कुम्हार के पास बैठकर गीली मिटटी को आकार देकर दीपक बनाया था इस बार भी उन्होंने एक अलग काम किया जिसका वीडियो वायरल हो रहा है।
दो दिवसीय दौरे पर आज ग्वालियर (Gwalior News) आये केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया नगर निगम द्वारा आयोजित स्वच्छता दूतों के सम्मान समारोह में शामिल होने अटल बिहारी वाजपेयी सभागार जीवाजी विश्व विद्यालय पहुंचे। कार्यक्रम के लिए एक भव्य मंच तैयार था। कार्यक्रम संचालक में उद्घोषणा की कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अब दीप प्रज्ज्वलन और सरस्वती पूजन कर कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे। तभी अचानक सिंधिया ने ऐसा कुछ किया कि लोग अचंभित रह गए।
कार्यक्रम संचालक की उद्घोषणा के बाद सिंधिया अपनी कुर्सी से उठे और अचानक चप्पल उतारकर मंच से नीचे जाने लगे। जब तक कार्यक्रम में मौजूद लोग कुछ समझ पाते तब तक सिंधिया नीचे उतारकर एक सफाई कर्मी महिला के पास पहुँच गए, उन्होंने उस महिला सफाईकर्मी का हाथ पकड़ा और उसे अपने साथ मंच पर लेकर आ गए।
सिंधिया ने खुद पहले दीप प्रज्ज्वलन और सरस्वती पूजन नहीं किया बल्कि हाथ में पूजा की थाली पकड़कर ये काम उस महिला सफाईकर्मी से कराया। पूजन के बाद दोनों ने चप्पल पहनी, सिंधिया ने फिर महिला सफाईकर्मी का हाथ पकड़ा और मंच पर लगी कुर्सी तक पहुंचकर अपने हाथ से एक कुर्सी खींची और उस महिला सफाईकर्मी को उसपर बैठा दिया। इसके बाद सिंधिया ने सफाईकर्मियों का सम्मान किया और बुजुर्ग सफाईकर्मियों के पैर भी छुए और गले से लगाया। सिंधिया ने कहा कि सफाई देवता है। देवताओं में पैर छुए जाते हैं।
आपको बता दें कि इसी महीने के शुरुआत में जब सिंधिया तीन दिवसीय दौरे पर ग्वालियर आये थे तो उन्होंने बहोड़ापुर क्षेत्र में एक कुम्हार को चाक चलते देखकर अपना काफिला रुकवाया तह और फिर उसके पास बैठकर खुद गीली मिटटी को आकार देकर एक दीपक बनाया था, सिंधिया ने ग्वालियर की सड़कों पर झाड़ू लगाकर स्वच्छता का सन्देश भी दिया था। सिंधिया के अलग अंदाज देखर लोग कहने लगे हैं “महाराज” अब बदल गए हैं।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....