ये कैसा सिस्टम, अपने ही बेटे से मिलने के लिए भटक रही एक मां, नहीं कर रहा कोई मदद

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। अपने ही बेटे से मिलने के लिए मां दर दर भटक रही (Mother wandering to meet son) है, उसके आंसुओं की कद्र किसी को नहीं है। पुलिस के दरवाजे पर फिर गुहार लगाने पहुंची मां के आंसू उसके दर्द और तड़प की गवाही दे रहे थे लेकिन सिस्टम का दिल नहीं पसीज रहा है।

ग्वालियर एसपी (Gwalior Police) ऑफिस पहुंची उमा देवी ने आंसू भरी आँखों और रुंधे हुए गले से बताया कि उसका पति बीएसएफ में है और इस समय जम्मू में पदस्थ है। पिछले दिनों 7 जून को वो घर टेकनपुर आया और उसके पांच साल के बेटे को लेकर चला गया। मैंने पूछा कि क्यों ले जा रहे हो तो बोले घुमाने ले जा रहा हूँ। दो महीने हो गए मैंने बच्चे की शक्ल नहीं देखी।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....