जब एसपी ऑफिस पहुंची दो बुजुर्ग महिलाएं, मांगी इच्छा मृत्यु

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर एसपी ऑफिस (Gwalior SP Office) में आज उस समय स्थिति बन गई जब दो बुजुर्ग महिलाएं रोती  हुई वहां पहुंची। उनके कांपते हाथों में पम्पलेट थे जिस पर इच्छा मृत्यु की गुहार लिखी हुई थी। उन्होंने रोते रोते कांपती हुई आवाज में अपने बेटे  ससुरालियों पर उन्हें प्रताड़ित करने के आरोप लगाए। उन्होंने पुलिस पर भी साथ नहीं देने के आरोप लगाए।

60 साल की एक बुजुर्ग महिला अपनी बहन के साथ आज सोमवार को एसपी ऑफिस पहुंची। वो बुरी तरह रो रही थी, मीडिया से बात करते हुए उन्होंने अपने बेटे के ससुरालियों पर उन्हें प्रताड़ित करने के आरोप लगाए। उन्होंने अपने समधी, क्षत्रिय महासभा के अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वे मेरे घर में घुसकर मेरे बेटे के साथ मेरे साथ मारपीट करते हैं, अश्लील हरकत करते है।  उन्होंने कुछ कांग्रेस नेताओं के नाम लेकर भी आरोप लगाए।

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बुजुर्ग ने कहा कि बेटे के ससुर मुझ पर दबाव बना रहे हैं कि पूरी प्रॉपर्टी उनकी बेटी के नाम कर दो। मैंने इसकी शिकायत पुलिस में की लेकिन पुलिस उनकी कोई मदद नहीं कर रही उल्टा उनकी ही मदद कर रही है। उन्होंने कहा कि मैं 15 अप्रैल से अपने घर पर नहीं गई यहाँ वहां भटक रही हूँ। उन्होंने कहा कि  ऐसे जीने से अच्छा तो ये है न कि हमें इच्छा मृत्यु की अनुमति दे दी जाये।

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एडिशनल एसपी मृगाखी डेका (Gwalior Police) ने कहा कि दो महिलाएं आई थीं, उन्होंने बताया कि उनके बेटे की ससुराल वाले कुछ गुंडों के साथ धमकी देते हैं, जान से मारने की धमकी देते हैं। जिससे वे खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है पुलिस भी उन्हें कोई सुरक्षा नहीं दे रही। एडिशनल एसपी ने ये भी बताया कि अप्रैल में महिला और उसके बेटे के खिलाफ गोले का मंदिर थाने में शिकायत की गई है जिसमें उनकी बहू ने उसे प्रताड़ित करने के आरोप लगाए हैं।

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एडिशनल एसपी ने कहा कि दोनों महिलाएं इच्छा मृत्यु की मांग कर रही हैं, हम अब देखते हैं, इसकी जांच करेंगे और उन्हें सुरक्षा देने की कोशिश करेंगे।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....