रिटायर्ड फौजी के चेहरे पर आई खुशी- बोले विश्वास हो गया है न्याय अभी जिंदा है

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर जिला प्रशासन (Gwalior District Administration) ने आज उपनगर ग्वालियर क्षेत्र में दो बड़ी कार्रवाई कर एक जगह से 1 करोड़ रुपये की शासकीय जमीन मुक्त कराई वहीं एक अन्य जगह से रिटायर्ड फौजी के घर को दबंग के कब्जे से मुक्त कराया। घर से दबंग का कब्जा हटने के बाद रिटायर्ड फौजी ने कहा कि मेरा न्याय से विश्वास उठ गया था लेकिन अब कह सकता हूँ कि सच और न्याय अभी भी जिंदा है।

एसडीएम प्रदीप तोमर के नेतृत्व में प्रशासन के अमले ने हजीरा चौराहे के पास स्थित डॉ भगवत सहाय कॉलेज (Dr. Bhagwat Sahai College) की भूमि पर बनाये गए अवैध गैराज को गिरा दिया। बताया जा रहा है कि कॉलेज की 2 हजार वर्ग फिट जमीन पर किसी राकेश लोधी ने 15 दिन पहले ही कब्जा कर गैराज बना लिया था। जिसकी शिकायत मिलने के बाद आज उसके तीनशेड को गिराकर शासकीय जमीन से कब्जा हटा लिया गया। मुक्त कराई गई जमीन की कीमत एक करोड़ रुपये है।

एक अन्य कार्रवाई में ग्राम जगनापुरा में राधाकुंज कॉलोनी में एक रिटायर्ड फौजी के मकान को दबंग के कब्जे से प्रशासन ने मुक्त कराया। रिटायर्ड सूबेदार संजय कुमार सक्सेना ने कहा कि 2018 में उन्होंने ये मकान खरीदा था। ड्यूटी पर होने के कारण यहाँ किरायेदार रख दिया लेकिन महेश भदौरिया नामक दबंग व्यक्ति ने किरायेदार को भगाकर मेरे मकान पर कब्जा कर लिया था और अपना ताला डाल लिया था। उन्होंने इसकी शिकायत, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, कलेक्टर, एसपी सहित सभी जगह की थी लेकिन वे 2019 से भटक रहे थे। आज कलेक्टर के आदेश पर SDM प्रदीप तोमर ने मकान का ताला तुड़वाकर रिटायर्ड सूबेदार को उनका घर सुपुर्द कर दिया। SDM रिटायर्ड फौजी को घर के अंदर ले गए फिर उन्होंने उनका शॉल श्रीफल फूलमाला से सम्मान किया। सम्मान से खुश रिटायर्ड सूबेदार संजय कुमार सक्सेना ने कहा कि ये दिन मैं कभी नहीं भूल सकता। मैंने सब जगह शिकायत की थी और उम्मीद खो चुका था लेकिन आज SDM प्रदीप तोमर द्वारा मुझे कब्जा दिलाया गया है तो मुझे विश्वास हो गया है कि कलियुग कितना भी आ जाए सच और न्याय अभी भी जिंदा है।

रिटायर्ड फौजी के चेहरे पर आई खुशी- बोले विश्वास हो गया है न्याय अभी जिंदा है

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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