Holi 2025 : देशभर में उत्साह और उमंग के साथ मनाई जा रही है होली, सीएम डॉ. मोहन यादव ने दी रंगोत्सव की शुभकामनाएं

आज होली है..रंगों का पावन पर्व जिसमें हर दिल प्रेम से सराबोर हो जाता है और घर आँगन खुशियों से महक उठता है। यह सिर्फ रंगों का खेल नहीं बल्कि जीवन के हर रंग को अपनाने, पुराने गिले-शिकवे भुलाने और नए रिश्तों में मिठास घोलने का अवसर भी है। होली हमें सिखाती है कि जीवन का असली आनंद खुलकर जीने और हर क्षण को सतरंगी बनाने में है। इस दिन का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी उतना ही गहरा है जितना इसका धार्मिक स्वरूप। होलिका दहन हमें अहंकार और बुराई के अंत का संदेश देता है तो रंगोत्सव प्रेम और सौहार्द का प्रतीक बनकर हमारे जीवन को नए उत्साह से भर देता है।

Shruty Kushwaha
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Holi 2025 : देशभर में आज रंगों का महापर्व होली पूरे उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर सीएम डॉ. मोहन यादव ने प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि ये पर्व जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली लेकर आए और सभी के जीवन में समरसता और स्नेह की उत्तरोत्तर वृद्धि होती रहे।

आज सुबह से ही लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर त्योहार की शुभकामनाएं दे रहे हैं। चारों ओर रंगों की बौछार और “होली है” के जयघोष से वातावरण सराबोर हो उठा है। बच्चों और युवाओं में होली का उत्साह देखा जा रहा है। सुबह से ही छोटे-छोटे बच्चे हाथों में पिचकारी और रंगों की बाल्टियां लिए एक-दूसरे पर रंग डालते नजर आए। युवाओं की टोली ढोल-नगाड़ों के साथ होली खेलती दिखी और बुजुर्ग भी इस खुशी में शामिल हो रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने दी होली की शुभकामनाएं 

सीएम डॉ. मोहन यादव ने रंगपर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि ‘उल्लास, स्नेह और रंगों के पावन पर्व होली की आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। अधर्म पर धर्म और अत्याचार पर भक्ति की जीत का प्रतीक पर्व होली आप सभी के जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली लेकर आए, समरसता और स्नेह की उत्तरोत्तर वृद्धि होती रहे। आप सभी पर भगवान श्री नारायण जी की कृपा बनी रहे, यही प्रार्थना करता हूं।’ बता दें कि एक दिन पहले मुख्यमंत्री निवास में सीएम मोहन यादव ने पूजा-अर्चना कर गोकाष्ठ से निर्मित होलिका का दहन किया और नकारात्मकता, भेदभाव और दुःख का नाश होने तथा जीवन में अनंत खुशियां व सामाजिक समरसता की कामना की।

अनेकता में एकता का प्रतीक

होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि सामाजिक सद्भाव और भाईचारे का संदेश भी देता है। भारत के विभिन्न राज्यों में इसे स्थानीय परंपराओं के अनुसार मनाया जाता है। बरसाना और नंदगांव में लठमार होली प्रसिद्ध है, जहां महिलाएं पुरुषों को लाठियों से मारती हैं और पुरुष ढाल से अपनी रक्षा करते हैं। वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली मनाई जाती है, जहां श्रद्धालु भगवान पर पुष्प अर्पित करते हैं और गुलाल उड़ाते हैं। पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन में होली को बसंत उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी। महाराष्ट्र में होली के पाँचवें दिन रंग पंचमी मनाई जाती है, जिसमें लोग एक-दूसरे पर रंग डालते हैं और उत्सव मनाते हैं। बिहार में फगुआ या फालगुनोत्सव के रूप में होली मनाई जाती है, जिसमें होलिका दहन के बाद रंगों का खेल, लोक गीत और नृत्य होते हैं। दक्षिण भारत में भी होली का उत्सव पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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