फूल सिंह बरैया के बयान से नाराज करणी सेना ने किया उनका पुतला दहन

Gaurav Sharma
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होशंगाबाद/इटारसी, राहुल अग्रवाल। मध्यप्रदेश में उपचुनाव का प्रचार शुरू हो चुका है। प्रचार के साथ नेताओं के द्वारा विवादित बयानबाजी का दौर भी चल रहा है, इसी क्रम में भांडेर से कांग्रेस के प्रत्याशी द्वारा एक विवादित बयान के विरोध में राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना ने आज स्थानीय जयस्तम्भ चौक इटारसी पर फूल सिंह बरैया का पुतला दहन किया। साथ ही जमकर नारेबाजी करते हुए चेतवानी दी कि अगर सवर्ण समाज के खिलाफ किसी भी नेता द्वारा अनर्गल टिप्पणी की तो राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना उग्र आंदोलन करेंगी। वहीं फूल सिंह बरैया ने सार्वजनिक माफी नहीं मांगी तो करणी सेवा उग्र आंदोलन करेगी।

ये था पूरा मामला

दरअसल, फूल सिंह बरैया का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। वीडियो में वे विवादित बयान देते नजर आ रहे हैं। वीडियो में सभा को संबोधित करते हुए फूल सिंह बरैया कह रहे हैं कि अभी भी वक्त है, अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को जाग जाना चाहिए वरना सवर्ण देश को हिंदू राष्ट्र बना देंगे। उन्होंने कहा कि मुसलमानों से भारत छोड़ने की बात करने वाले सवर्णों को पहले खुद देश छोड़ना चाहिए क्योंकि वह मुसलमानों के बाद भारत आए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अनुसूचित जाति के लोग और मुसलमान एक ही पिता की संतान हैं, चाहे तो डीएनए टेस्ट करा लिया जाए। उन्होंने ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल के एक भाषण का उदाहरण देते हुए बताया कि एक बार जब हिंदुओं ने अंग्रेजों से भारत छोड़ने की मांग की तो चर्चिल ने कहा कि अगर भारत के मूल निवासी इस बात की मांग करेंगे तो विचार किया जाएगा। उन्होंने लोगों से एकजुट होने की अपील करते हुए कहा कि यदि हम एक हो गए तो वे 15 हैं हम 85। वें मुकाबला नहीं कर पाएंगे। अपने संबोधन में उन्होंने सवर्ण महिलाओं के लिए काफी अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया था। बयान के वायरल होने के बाद सवर्णों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और इसका उपचुनाव पर असर पड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

इस मौके पर चंद्रशेखर सिंह चंदेल,मोती सिंह राजपूत,सुरेंद्र सिंह ठाकुर (बब्ली),नितेश ठाकुर,नवीन सिंह सिसोदिया,विजय पटेल धुरपन,मनोज सिंह राजपूत,आशीष सोलंकी,शैलेंद्र राजपूत,आशीष भदौरिया लक्ष्मण राजपूत ,शशांक राजपूत,शुभम राठौड़,विक्रम राजपूत,सत्यम राजपूत,सौरभ राजपूत, पुष्पराज सोलंकी,राम राजपूत,राज तोमर, माधव गौतम ,निखिल भदौरिया, भानु सोलंकी,अनिकेत सिकरवार,धर्मेश सोलंकी, गौतम राजपूत,गोल्डी बैस,विकास सिंह पंवार एवं समस्त करणी सैनिक उपस्थित थे।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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