सर्दी में जमीन में बैठकर पढ़ रहे स्कूली बच्चों को विधायक ने दिया नये साल का तोहफा, कही ये बड़ी बात

Gaurav Sharma
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। सरकार की योजनाएं बहुत हैं, विभागों के पास बजट की कमी नहीं हैं, बच्चों के मामाा  सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) स्कूली बच्चों के लिए दोनों हाथों से पैसा देते हैं और सुविधाओं की व्यवस्था करते हैं लेकिन जब जमीनी हकीकत सामने आती है तो सिर्फ तकलीफ ही नहीं आश्चर्य भी होता है कि कैसे सरकारी मुलाजिम योजनाओं को फाइल से बाहर नहीं निकलने देते।

ये भूमिका एक ऐसा दृश्य देखने के बाद बांधनी पड़ रही है जिसके बारे में जानकर आपको भी तकलीफ होगी। दरअसल ग्वालियर (Gwalior) की कड़कड़ाती सर्दी  में जहाँ लोग रजाई से बाहर आना पसंद नहीं करते या आग के आसपास रहना पसंद करते हैं ऐसे में स्कूली बच्चे (school students) जमीन पर बैठकर ( sitting on the floor) अपना भविष्य (future) संवारनेे  का प्रयास कर रहे हैं। निरीक्षण (inspection) के दौरान जब क्षेत्रीय विधायक प्रवीण पाठक (MLA Praveen Pathak) ने अपनी आंखों से ये देखा तो उन्होंने बच्चों से वादा किया कि अब वे उन्हें जमीन पर नहीं बैठने देंगे । वादे के मुताबिक विधायक ने बच्चों को नये साल के तोहफे के तौर पर फर्नीचर गिफ्ट कर दिया। फर्नीचर देने के बाद विधायक ने ईश्वर से कहा कि ” धन्यवाद प्रभु, अब उन्हें ठंड में जमीन पर नहीं बैठना पड़ेगा।”

ग्वालियर दक्षिण विधानसभा के कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक अपने विधानसभा क्षेत्र में खुद को विधायक नहीं दक्षिण का बेटा कहलाना पसंद करते हैं। अपने क्षेत्रों के दो स्कूलों का उन्नयन करवा रहे विधायक पाठक स्कूलों के लिए मुफ्त स्टेशनरी बैंक भी चलाते हैं,स्कूलों को ब्लैक बोर्ड ( ग्रीन बोर्ड) बांटने का उन्होंने संकल्प ले रखा हैं। लेकिन इस बार उन्होंने जब सरकारी स्कूल के बच्चों को सर्दी में जमीन पर टाटपट्टी पर बैठकर पढ़ते देखा तो उनसे वादा किया कि सात दिन में वे फर्नीचर पर बैठकर पढ़ेंगे और साल के अंतिम दिन नये साल के तोहफे के रूप में विधायक ने अपना वादा पूरा कर दिया।

दरअसल ग्वालियर दक्षिण विधानसभा के कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक ने निरीक्षण के दौरान पिछले दिनों शासकीय हाई स्कूल सराफा बाजार एवं शासकीय हाई स्कूल गोल पहाड़िया के बच्चों से मुलाकात की थी । विधायक ने जब बच्चों को सर्दी में जमीन पर बैठकर पढ़ते देखा तो खुद भी जमीन पर बैठकर उनकी समस्यायें पूछी। मासूम एक विधायक के सवालों का जवाब कैसे देते या अपने शिक्षकों के सामने समस्यायें कैसे बताते? लेकिन विधायक पाठक ने खुद ही सब समझ लिया और बच्चों से वादा किया कि एक सप्ताह के अंदर समस्यायें दूर हो जायेंगी। वादे के मुताबिक विधायक पाठक ने दोनों स्कूलों में कल साल के अंतिम दिन बच्चों के बैठने के लिए कक्षा में फर्नीचर और अच्छे से पढ़ाने के लिये ब्लैक बोर्ड (ग्रीन बोर्ड ) उपलब्ध करा दिये। बच्चों की समस्या दूर कर विधायक ने ईश्वर से कहा कि ” धन्यवाद प्रभु, अब उन्हें ठंड में ज़मीन पर नहीं बैठना पड़ेगा “।

विधायक ने कहा “मुझे खुशी है कि बच्चों की यह सभी समस्याएं अब दूर हो गयी हैं। उन्होंने घोषणा की कि जल्द ही इन दोनों विद्यालयों का नवीनीकरण भी किया जाएगा और अन्य सभी शासकीय विद्यालयो में भी एक सप्ताह के भीतर ग्रीन बोर्ड लगवाए जाएंगे। विधायक ने कहा कि मेरा संकल्प है ग्वालियर दक्षिण का एक एक शासकीय विद्यालय सर्व सुविधाओं से युक्त हो इसके लिए मैं निरंतर प्रयासरत रहूंगा। फर्नीचर पर बच्चों को बैठा देखकर विधायक ने कहा कि मेरे लिए नववर्ष की शुरुआत इससे बेहतर नहीं हो सकती कि अब मेरे छोटे भाई बहनों को ज़मीन पर नहीं बैठना पड़ेगा और शिक्षक भी काली दीवार पर नहीं अब से ग्रीन बोर्ड पर पढ़ाएंगी। विधायक ने कहा कि जीवन में सर्वाधिक खुशी का क्षण होता है जब हम अपना किया वादा पूरा करते हैं, आपके बेटे की यही प्राथमिकता रहती है कि मैं अपना एक एक वादा पूरा करूँ । फर्नीचर और बोर्ड मिलने के बाद बच्चों ने विधायक का आभार जताया और कहा “थैंक्यू भैया”।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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