इंदौर, डेस्क रिपोर्ट। वैसे तो दुनिया भर में कई सारे धार्मिक स्थल मौजूद है, लेकिन इनमें से कुछ ऐसे धार्मिक स्थल होते हैं जिनकी मान्यता काफी ज्यादा होती है। जी हां ऐसा ही एक धार्मिक स्थल के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं जो इंदौर शहर (Indore) से करीब 50 किलोमीटर दूर विंध्यांचल पर्वत श्रंखला के घने जंगलों की 3000 फीट ऊंची पहाड़ी पर पार्वती माता का प्रसिद्ध मंदिर (parvati mata mandir) मौजूद है।
आपको बता दें घने जंगलों के बीच 3000 फीट ऊंची पहाड़ी पर पार्वती माता का एक प्रसिद्ध मंदिर है। जहां भक्तों की काफी ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है। जानकारी के मुताबिक, यह मंदिर अष्टभुजाधारी प्रतिमा का है। खास बात यह है कि यह मंदिर एक हेक्टर से ज्यादा एरिया में फैला हुआ है। जाम खुर्द गांव में ये मंदिर बसा हुआ है। यहां दूर दूर से लोग घूमने और माता के दर्शन के लिए आते हैं।
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ये मंदिर महू-मंडलेश्वर रोड पर आता है। अगर आप इस मंदिर में दर्शन के लिए जाना चाहते है तो आपको सबसे पहले इंदौर से महू जाना होगा फिर वहां से बड़गोंदा, मेण के रास्ते से आप यहां पहुँच जाएंगे। अभी मंदिर का निर्माण किया जा रहा है जिसके लिए 2 करोड़ की लागत लगाई जा रही है। मंदिर निर्माण का कार्य बीते चार पांच साल से चल रहा है।
राजा इंद्र ने की थी स्थापना, हर मुराद होती है पूरी –
मान्यताओं के अनुसार, राजा इंद्र ने यहां मूर्ति की स्थापना की थी। आप इस मंदिर में माता पार्वती का अलग रूप देख सकते है दरअसल, इस मंदिर में माता को महिषासुर का वध करते हुए दिखाया गया है। मंदिर में माता की प्रतिमा पांच फीट ऊंची है। यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। मान्यताओं के मुताबिक, मंदिर के पुजारी ने बताया है कि इस मंदिर की हर मुराद पूरी होती है।
दरअसल, यहां एक लड़की लापता हो गई थी। जो 15 साल की थी। सभी ने उसके मिलने की आस छोड़ दी थी। लेकिन एक महिला ने इस मंदिर में उसके लिए मन्नत मांगी। ऐसे में एक महीने बाद ही वो बच्ची मिल गई। वो भी एक कार्ड के जरिए उसका पता लगा। उस कार्ड पर बच्चे का फोटो और पता लिखा था। इतना ही नहीं यहां जिसकी गोद सुनी रहती है वो भी माता के आशीर्वाद से पूरी हो जाती है।
माता बदलती है 3 रूप –
मंदिर के पुजारी ने बताया कि माता अपने 3 रूप बदलती है। यहां नवरात्रि में लाखों भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। कहा जाता है कि पार्वती माता यहां दिनभर में तीन बार रूप बदलती है। ये मंदिर करीब 500 साल पुराना है। इस मंदिर में पुजारी को पूजा करते हुए 40 साल से ज्यादा हो चुके हैं।