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बुजुर्गों के अपमान पर इंदौर कलेक्टर शर्मिंदा, माफी मांगने पहुंचे भगवान गणेश के दरबार

इंदौर, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश के मिनी मुंबई कहे जाने वाले इंदौर (Indore) में बुजुर्गों (senior citizen) के साथ हुई बदसलूकी (Misbehavior) के मामले ने जैसे ही तूल पकड़ा प्रदेश और देश में हर जगह इंदौर शहर की चर्चा होने लगी। हर कोई इंदौर शहर में हुई इस घटना को कोस रहा है। घटना के तुरंत बाद ही सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने दोषियों (Accused) पर कार्रवाई (Action) करते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया। वहीं अब शासन प्रशासन दोनों ही इंदौर (Indore) में हुई घटना को लेकर प्रायश्चित (Regret) करने में लगी हुई है।

आज रविवार को माघ चतुर्थी के मौके पर इंदौर के कलेक्टर ने खजराना मंदिर (Khajrana Mandir) में हाजरी लगा कर भगवान गणेश से इंदौर में हुई घटना को लेकर माफी मांगी। पत्रकारों से चर्चा करते हुए कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) ने कहा कि आज इस अवसर पर पूरे शहर के लिए और स्वास्थ्य के लिए आशीर्वाद लिया है। शहर में शांति बनी रहे, सभी को सही निर्णय लेने की क्षमता दें और फिर आशीर्वाद प्राप्त किया है। कलेक्टर ने आगे कहा कि इंदौर में नगर निगम के द्वारा जो भी बुजुर्गों के साथ में घटनाक्रम हुआ था उसके लिए भी ईश्वर क्षमा मांगी है। उसमें जो भी गलती हुई है जिससे भी हुई है, चूंकि हम लोग सभी अधिकारी हैं कहीं ना कहीं जिम्मेदारियों से बच नहीं सकते हैं। इन गलतियों के लिए ईश्वर क्षमा करें और पूरे शहर के स्वास्थ्य के लिए भगवान जी से कामना की है।

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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।