इंदौर (Indore) में इन दिनों प्रशासन पूरी तरह एक्शन मोड में दिखाई दे रहा है। कलेक्टर शिवम वर्मा लगातार अलग-अलग विभागों की फाइलों, शिकायतों और लंबित राजस्व प्रकरणों की समीक्षा कर रहे हैं। जैसे ही किसी मामले में लापरवाही या गड़बड़ी सामने आती है, अधिकारी तुरंत एक्शन ले रहे हैं। इसी क्रम में महू तहसील से सामने आए एक राजस्व विवाद ने प्रशासन के कान खड़े कर दिए, और जांच में गंभीर अनियमितताएं उजागर हुईं।
इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि कलेक्टर ने न सिर्फ नोटिस जारी किए, बल्कि सीधे तीन पटवारियों को निलंबित कर दिया। इनमें दो महिला पटवारी भी शामिल हैं। कलेक्टर का संदेश साफ है, सरकारी जमीन से जुड़े मामलों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी, और राजस्व से जुड़ी हर फाइल की सावधानी से जांच की जाएगी।
कलेक्टर की सीधी चेतावनी
कलेक्टर शिवम वर्मा ने साफ कहा कि यह कार्रवाई सिर्फ शुरुआत है। राजस्व विभाग में लंबित मामलों की संख्या बढ़ रही थी, और कई मामलों में तय समयसीमा के भीतर समाधान नहीं हो पा रहा था। इसके पीछे अक्सर संबंधित अधिकारियों की उदासीनता सामने आती रही है। कलेक्टर ने समीक्षा बैठक में स्पष्ट चेतावनी दी आगे भी जो भी कर्मचारी या अधिकारी राजस्व प्रकरणों को लेकर लापरवाही करता पाया गया, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
कौन-कौन निलंबित हुए
- आशीष कटारे
- अनिता चौहान (महिला पटवारी)
- मेघा शर्मा (महिला पटवारी)
तीनों पर आरोप है कि इन्होंने अपने कार्यक्षेत्र में राजस्व प्रकरणों के निराकरण में गंभीर लापरवाही की और संवेदनशील मामलों को सही तरह से नहीं देखा। यह लापरवाही सीधे सरकारी जमीन के रिकॉर्ड को प्रभावित करती थी। कलेक्टर ने इन तीनों का निलंबन मुख्यालय देपालपुर निर्धारित किया है, यानी जांच पूरी होने तक इनकी पोस्टिंग वहीं रहेगी।
क्या था पूरा मामला
जिस मामले में यह कार्रवाई की गई, वह महू तहसील के ग्राम सांतेर (रसलपुरा) का है। यहां खसरा नंबर 68/1 और 69/1 से जुड़े विवादित राजस्व प्रकरण में गड़बड़ी सामने आई। जांच में पाया गया कि उक्त जमीन पहले से सरकारी दर्ज थी। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी जमीन सरकारी ही रखी जानी थी।
लेकिन रिकॉर्ड में एक अतिरिक्त सर्वे नंबर तैयार कर दिया गया, जिसे निजी दर्ज कर दिया गया था। बाद में उसी आधार पर जमीन का डायवर्शन भी कर दिया गया, जो कानूनी रूप से गलत था। यह गड़बड़ी बिना संबंधित पटवारियों की जानकारी या सहयोग के संभव नहीं थी। इसी वजह से प्रशासन ने इसे गंभीर अनियमितता माना।
अनियमितता कैसे पकड़ी गई
जब मामला उच्च अधिकारियों तक पहुंचा, तो सबसे पहले दस्तावेजों की क्रॉस-चेकिंग की गई। फाइलों में मौजूद सर्वे नंबर, पुराने नक्शे, कोर्ट आदेश और पटवारियों की रिपोर्ट को मिलाकर देखा गया। जांच के दौरान पता चला कि सर्वे नंबर गलत तरीके से बढ़ाया गया था। राजस्व रिकॉर्ड अपडेट करते समय नियमानुसार प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। पटवारियों ने दस्तावेज़ों में मौजूद विसंगतियों को न देखकर सीधे एंट्री कर दी। इन्हीं गंभीर चूकों की वजह से मामला संवेदनशील हो गया और कलेक्टर ने तत्काल निलंबन का आदेश जारी कर दिया।





