इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (DAVV) ने इस बार परीक्षा प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है। अक्सर रिजल्ट में देरी और मार्किंग को लेकर उठने वाले सवालों के बीच यूनिवर्सिटी ने अब जवाबदेही और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी है। इस बार कॉपियां पहले टीचर्स जांचेंगे, और फिर उन पर अंतिम नज़र सब्जेक्ट एक्सपर्ट डालेंगे। यानी गलतियां पकड़ने और मार्किंग में किसी तरह की चूक रोकने के लिए दो-स्तरीय प्रक्रिया लागू की गई है।
स्टूडेंट्स के लिए यह फैसला राहत भी है और इंतजार भी। राहत इसलिए क्योंकि गलत मूल्यांकन की शिकायतें अब कम होंगी। लेकिन इंतजार इसलिए बढ़ेगा क्योंकि दो स्तर की जांच में स्वाभाविक रूप से समय ज्यादा लगेगा। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने साफ कहा है कि इस बार रिजल्ट जल्दी की बजाय सही आए, यह ज्यादा ज़रूरी है।
क्यों लिया गया फैसला
डीएवीवी को हर साल हजारों स्टूडेंट्स से कॉपी जांच में गड़बड़ी की शिकायतें मिलती थीं। मार्क्स कम मिलने का आरोप, रीवैल्यूएशन में बड़ा अंतर निकलना, पेपर मिसमैच या अधूरी जांच के मामले, इन सबने विश्वविद्यालय प्रशासन को बार-बार सोचने पर मजबूर किया। पिछले सेशन में रीवैल्यूएशन के दौरान कई सब्जेक्ट्स में 20–25 मार्क्स तक का अंतर सामने आया था, जिससे पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठे। ऐसे में परीक्षा समिति ने फैसला लिया कि अब सब्जेक्ट एक्सपर्ट की अंतिम जांच अनिवार्य होगी।
कैसे जांची जाएंगी कॉपियां?
- सबसे पहले कॉपी उसी विषय के टीचर जांचेंगे, जो सामान्य मूल्यांकन प्रक्रिया का हिस्सा है।
- टीचर की जांच के बाद कॉपी एक अलग टीम के विषय विशेषज्ञ के पास जाएगी। यह टीम मार्किंग पैटर्न, उत्तर की गुणवत्ता और पेज-मिसमैच जैसी तकनीकी गलतियों को भी ध्यान से देखेगी।
- मार्क्स फाइनल होने के बाद यूनिवर्सिटी का तकनीकी विभाग एंट्री की जांच करेगा, ताकि ऑनलाइन मार्क्स अपलोड में कोई गलती न हो।
- यह प्रक्रिया पहली बार इतने बड़े स्तर पर लागू की जा रही है।





