इंदौर (Indore) हाईकोर्ट ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए निजी बैंक द्वारा लोन न चुका पाने की वजह से ज़ब्त किए गए मकानों को लेकर निर्देश दिए हैं। इतना ही नहीं इस मामले में मकान मालिकों को होने वाली दिक्कतें और असुविधा के लिए ज़िम्मेदार अधिकारियों पर भी क्रिमिनल एक्शन लेने का आदेश दिया गया है।
दरअसल, देवपालपुर इलाक़े के एक शख़्स ने एयू हाउसिंग फाइनेंस बैंक से प्लॉट ख़रीदने के लिए लोन लिया था। लेकिन कुछ किस्ते न चुकाने पर बैंक ने SDM कोर्ट में केस दायर कर दिया और प्लॉट को ज़ब्त करने का आदेश ले लिया।बैंक का यह कहना है कि उनके द्वारा कई बार नोटिस भेजे गए हैं, लेकिन जब किस्तें नहीं आयी तो उन्हें यह क़दम मज़बूरी में उठाना पड़ा।

प्लॉट के बजाय मकान पर किया क़ब्ज़ा
बताया जा रहा है कि SDM कोर्ट ने एक प्लॉट की कुर्की का आदेश दिया था, लेकिन जब पटवारी और बैंक अधिकारी ज़ब्ती के लिए मौक़े पर पहुँचें, तो उन्होंने प्लॉट के बजाय पीड़ित के मकान पर ही क़ब्ज़ा कर लिया। इतना ही नहीं मकान को ज़ब्त करने के साथ साथ घर में मौजूद पीड़ित की 10वीं कक्षा की बेटी को भी घर से बाहर निकाल दिया। साथ ही साथ पीड़ित परिवार को अपने घर से सामान निकालने की अनुमति तक नहीं दी गई और मकान पर तुरंत ताला डाल दिया गया।
अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश
इतना सब सहन करने के बाद पीड़ित परिवार ने इस मामले में न्याय की तलाश करते हुए इंदौर हाईकोर्ट का रुख़ अपनाया और कोर्ट में याचिका दायर की। जिसके बाद न्यायाधीश विवेक रूसिया ने मामले की गंभीरता को समझते हुए सुनवाई के बाद आदेश जारी किया। उन्होंने कहा कि मकान ग़लत तरीक़े से ज़ब्त किया गया है, उसे तुरंत ही पीड़ित परिवार को लौटाया जाए, इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि ज़िम्मेदार अधिकारियों के ख़िलाफ़ आपराधिक कार्रवाई की जाए।