इंदौर मेट्रो फ्री जॉय राइड खत्म, क्या अब भी बनी रहेगी यात्रियों की भीड़?, पहले सप्ताह में मुफ्त सफर ने बनाया रिकॉर्ड, अब टिकट की बारी

इंदौर मेट्रो की फ्री जॉय राइड खत्म हो चुकी है, अब किराया 20–30 रुपये होगा। पहले हफ्ते में 87,000 लोगों ने किया सफर। क्या अब भी रहेगी उतनी ही भीड़? जानिए किराए, फीचर्स, स्टेशन और भविष्य की योजनाएं, जिनमें रियल टाइम ट्रैकिंग, QR टिकट और स्काई बस जैसी आधुनिक सुविधाएं शामिल हैं।

इंदौर मेट्रो ने पहले तीन दिनों में 50,000 से ज्यादा यात्रियों को आकर्षित किया। मुफ्त सफर और उत्साह के कारण गांधी नगर से सुपर कॉरिडोर-3 तक लोग बड़ी संख्या में पहुंचे। अब टिकट की कीमत 20 से 30 रुपये होगी। लेकिन क्या यह लोकप्रियता बनी रहेगी?

31 मई 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल से इंदौर मेट्रो के सुपर प्रायोरिटी कॉरिडोर का वर्चुअल उद्घाटन किया। यह 6.3 किमी का हिस्सा गांधी नगर से सुपर कॉरिडोर-3 तक है, जिसमें 5 स्टेशन हैं: गांधी नगर, सुपर कॉरिडोर-6, सुपर कॉरिडोर-5, सुपर कॉरिडोर-4 और सुपर कॉरिडोर-3। पहले सप्ताह में मुफ्त सफर ने भारी भीड़ खींची। मध्य प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (MPMRCL) ने अगले तीन महीनों के लिए छूट की योजना बनाई है, जिसमें दूसरा सप्ताह 75%, तीसरा सप्ताह 50%, और तीसरे महीने तक 25% छूट शामिल है। लेकिन ग्रामीण इलाकों तक कनेक्टिविटी और बस सेवाओं का एकीकरण अभी बाकी है।

टिकटिंग और तकनीक

मेट्रो में शुरुआत में मैनुअल टिकटिंग होगी, क्योंकि तुर्की की कंपनी ‘असिस गार्ड’ के ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम पर विवाद के बाद जांच चल रही है।QR कोड-आधारित टिकटिंग, रीयल-टाइम ट्रैकिंग, AI-आधारित कंट्रोल सिस्टम और प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर्स जैसी आधुनिक सुविधाएं हैं। ट्रेनों में 67 मीटर लंबे तीन-कोच सेट, आपातकालीन बटन, इंटरकॉम, डिजिटल रूट मैप और LED टीवी हैं। नेत्रहीन यात्रियों के लिए ऑडियो घोषणा सिस्टम भी है। किराया 20 से 30 रुपये के बीच है, जो सस्ता और सुविधाजनक है। MPMRCL बस सेवाओं के साथ एकीकरण पर भी काम कर रहा है, ताकि लास्ट-माइल कनेक्टिविटी बेहतर हो।

सफर करने का नया युग

मेट्रो ने न केवल शहर की साफ-सफाई की छवि को मजबूत किया, बल्कि रोजगार और पर्यावरण में भी योगदान दिया। मेट्रो के निर्माण और संचालन से सैकड़ों नौकरियां पैदा हुईं। ट्रैफिक और प्रदूषण में कमी की उम्मीद है, क्योंकि मेट्रो से वाहनों की संख्या घटेगी। पहले दिन महिलाओं, खासकर स्वच्छता दीदियों और सुपर कॉरिडोर की कंपनियों में काम करने वाली महिलाओं ने सफर किया। सभी स्टेशनों का नाम भारत की वीरांगनाओं जैसे देवी अहिल्याबाई होल्कर, रानी लक्ष्मीबाई, रानी अवंती बाई लोधी, रानी दुर्गावती और वीरांगना झलकारी बाई के नाम पर रखा गया है। लेकिन सुपर कॉरिडोर जैसे सुनसान इलाके में चलने वाली मेट्रो की असल उपयोगिता 17.5 किमी के प्रायोरिटी कॉरिडोर के पूरा होने पर होगी।

क्या इंदौर मेट्रो बदलेगी शहर की तस्वीर?

शुरुआत उत्साहजनक है, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं। सुपर कॉरिडोर जैसे कम आबादी वाले क्षेत्र में मेट्रो की उपयोगिता सीमित है। IIM इंदौर के निदेशक हिमांशु राय ने सुझाव दिया कि मेट्रो को उज्जैन तक विस्तार और स्काई बस जैसी सुविधाओं की जरूरत है। MPMRCL का कहना है कि 31.3 किमी का पूरा नेटवर्क पूरा होने पर मेट्रो का असर दिखेगा। बस सेवाओं के साथ एकीकरण और ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच बढ़ाना जरूरी है। मेट्रो की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि यह कितनी जल्दी शहर के अन्य हिस्सों को जोड़ पाएगी।


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Ronak Namdev

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मैं रौनक नामदेव, एक लेखक जो अपनी कलम से विचारों को साकार करता है। मुझे लगता है कि शब्दों में वो जादू है जो समाज को बदल सकता है, और यही मेरा मकसद है - सही बात को सही ढंग से लोगों तक पहुँचाना। मैंने अपनी शिक्षा DCA, BCA और MCA मे पुर्ण की है, तो तकनीक मेरा आधार है और लेखन मेरा जुनून हैं । मेरे लिए हर कहानी, हर विचार एक मौका है दुनिया को कुछ नया देने का ।

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