इंदौर, आकाश धोलपुरे। आरक्षण (Reservation) के आधार को लेकर देशभर में फिर से बहस छिड़ गई है। इसी का परिणाम है कि आये दिन आरक्षण को लेकर सामान्य वर्ग के अलग-अलग संगठनों द्वारा आरक्षण के नए मापदंडो को तैयार करने के लिए केंद्र सरकार (Central Government) से मांग की जा रही है। इसी के चलते स्वतंत्रता दिवस के एक दिन पूर्व क्षत्रिय महासभा, राजपूत समाज और करणी सेना के पदाधिकारियों द्वारा इंदौर सांसद (Indore sansad) शंकर लालवानी से मुलाकात की गई और अपनी मांग को लेकर ज्ञापन भी सौंपा गया। हालांकि ये बात ओर है कि जब सीधे सांसद से आरक्षण को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाल दी।
बता दें कि शुक्रवार को सामान्य वर्ग से जुड़े विभिन्न संगठनों ने एक जाजम पर आकर जातिगत आधार पर दिए आरक्षण का विरोध करते हुए इंदौर सांसद शंकर लालवानी (Shankar Lalvani) को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के जरिये मांग की गई कि करीब 75 साल से चली आ रही आरक्षण व्यवस्था को बदलकर अब आर्थिक आधार पर आरक्षण पॉलिसी लागू की जाए और सवर्ण आयोग गठित किया जाए। राजपूत समाज से जुड़े विभिन्न संगठनों ने शनिवार को सांसद शंकर लालवानी से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की और कहा कि वो संसद में इस मामले को उठाएं क्योंकि अब सामान्य वर्ग अपने वर्ग के जनप्रतिनिधियों के जरिये मांग कर रहा है कि आरक्षण आर्थिक आधार पर दिया जाए न कि जातिगत आधार पर क्योंकि जातिगत आधार पर कुछ लोग ही उसका लाभ उठाएं जा रहे है इसके अलावा सामान्य वर्ग में भी अधिकतर ऐसे लोग है जिन्हें आरक्षण की आवश्यकता है। अखिल भारतीय राजपूत समाज के अध्यक्ष दीपेंद्र सोलंकी ने कहा कि जातिगत आधार पर आरक्षण लोगों मे फूट पैदा कर रहा है।
इधर, इस मामले को लेकर सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि आज राजपूत और अन्य समाजों के संगठन उनसे मिले और सभी ने ज्ञापन के जरिये मांग की है कि आरक्षण जाति के बजाय आर्थिक आधार पर दिया जाए। इधर, जब सांसद शंकर लालवानी से मीडिया ने सवाल किया कि क्या आपको लगता है कि आरक्षण आर्थिक आधार पर तय होना चाहिये तो उन्होने तुरंत गेंद केंद्र सरकार और अपनी पार्टी के पाले में डाल दी और कहा कि इसमें पार्टी और सरकार विचार करेगी और वो निर्णय लेगी।
आरक्षण के सवाल पर बचने वाले इंदौर सांसद शंकर लालवानी को इस बात का भान है कि यदि वो आरक्षण पर बोले तो उनके राजनीतिक भविष्य पर कई सवाल खड़े हो जाएंगे। लिहाजा संसद में खुलकर अलग से सिंधी राज्य की मांग करने वाले सांसद शंकर लालवानी ने आरक्षण के महत्वपूर्ण मुद्दे को लेकर किसी भी प्रकार की टिप्पणी नही की और ये बात ये साफ कर रही है कि बीजेपी यूपी और लोकसभा चुनाव के पहले किसी भी तरह का खतरा मोल नहीं लेना चाहती है।