प्रशासन ने पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक को नहीं करने दी प्रेस कांफ्रेंस, शासन-प्रशासन पर पटवारी का तीखा हमला

इंदौर, आकाश धोलपुरे। पूर्व मंत्री और इंदौर की राउ सीट से विधायक जीतू पटवारी सहित कांग्रेस कार्यकर्ता इंदौर रेसीडेंसी पर प्रेस कांफ्रेंस कर कोविड सहित अन्य मामलों में मीडिया से रूबरू होना चाह रहे थे। लेकिन जैसे ही कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला और शहर कांग्रेस अध्यक्ष रेसीडेंसी हाउस में प्रवेश करने पहुंचे, इसके पहले ही तहसीलदार राजेश सोनी और पुलिस बल मौके पर खड़ा रहा और उन्होंने कांग्रेस विधायक और अध्यक्ष को कहा कि कोविड दिशा निर्देशों के अनुसार वर्तमान में प्रेस कांफ्रेंस की अनुमति नही है। इधर, कुछ ही देर में पूर्व जीतू पटवारी पहुंचे तो उन्होंने भी इस बात पर एतराज जताया और इस संबंध में कलेक्टर से बात की और कहा कि अंदरप्रेस कॉन्फ्रेंस की इजाजत क्यों नहीं, अगर ऐसा है तो यह अत्याचार है।

कुछ देर बाद पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने रेसीडेंसी परिसर में बनी पाल पर ही बैठकर प्रेस कांफ्रेंस शुरू कर दी। इस मामले में उन्होंने कहा कि कलेक्टर को तबादले का डर है और फिर उन्होंने कहा एक जनप्रतिनिधि और विधायक का अधिकार है कि जितने सरकारी रेस्ट हाउस और सर्किट हाउस होते है उसमे विधायक जाकर अपना सरकारी काम या मीडिया से बात कर सकता है । उन्होंने कहा कि वेदना ये है कि प्रदेश में सरकार तानाशाही से चलाना चाहते है। वही उन्होंने सांवेर की जनसभा में पूर्व सीएम कमलनाथ की बातों का उदाहरण देते हुए कहा कि अधिकारी व कर्मचारी अपने पद की गरिमा रखे और पुलिस वाले अपनी वर्दी की इज्जत रखे अन्यथा समय बदलते देर नहीं लगेगी।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।