इंदौर, आकाश धोलपुरे। ग्रेटर कैलाश हॉस्पिटल का नाम एक बार फिर विवादों में आ गया है। जहां 2 दिन पहले अस्पताल प्रबंधन की खिलाफत कर वहां काम करने वाले डॉक्टर्स और स्टॉफ ने मोर्चा खोल दिया है। इधर, अब मीडिया जगत से जुड़े प्रतीक मित्तल ने ग्रेटर कैलाश हॉस्पिटल और प्रबंधन पर गम्भीर आरोप लगाए है।
दरअसल, बख्तावर राम नगर में रहने वाले प्रतीक मित्तल का आरोप है कि मंगलवार 8 सितंबर को दोपहर 2 बजे उनके पिता डॉ.घनश्याम मित्तल अचानक पत्रकार चौराहा तृप्ति बेकरी के समीप अस्वस्थ हो गए थे जिसके बाद सूचना मिलने पर वो अपने कजिन गौरव बंसल के साथ चंद मिनटों में उस स्थान पर पहुंच गए थे। वहां उनके पिता सांस न लें पाने के कारण जमीन पर लेटे हुए थे और उनका हाथ दीपक जैन नामक व्यक्ति ने थाम रखा था। जिसके बाद वहां मौजूद एक राहगीर अमान खान के साथ वो, उनके पिताजी को ग्रेटर कैलाश हॉस्पिटल ले गए। इसके बाद हॉस्पिटल में मौजूद ड्यूटी डॉक्टर अखिलेश दो महिला स्टॉफ के साथ उनके पिताजी को इमरजेंसी कक्ष में ले गए। बाद में उन लोगो ने हॉस्पिटल में आईसीयू बैड खाली नही होने की बात की और इस दौरान तमाम मिन्नतें करने के बाद भी ड्यूटी डॉक्टर अखिलेश ने डॉ. घनश्याम मित्तल को हाथ तक नही लगाया और दूसरे अस्पताल में ले जाने का कह दिया।
इसी दौरान सांस नही ले पाने की तकलीफ से गुजर रहे घनश्याम मित्तल ने फ़ोन की तरफ इशारा ‘बंडी बंडी’ कहा। दरअसल, ग्रेटर हॉस्पिटल के प्रबंधक डॉ. अनिल बंडी और पीड़ित डॉ. घनश्याम मित्तल कई सालों से दोस्त है। लिहाजा, बेटे प्रतीक मित्तल ने मौजूदा स्टॉफ से डॉक्टर बंडी को फ़ोन लगाने को कहा लेकिन स्टॉफ ने चिल्लाने के बाद डॉ. बंडी को फ़ोन लगाया और फ़ोन प्रतीक मित्तल को दिया। इसके बाद डॉ. बंडी से बात की गई तो डॉ. बंडी ने प्रतीक मित्तल से कहा कि ‘बेटा फिक्र मत करो, मैं कैज्युलटी में हूँ आ रहा हूँ’। 15 मिनिट तक इंतजार करने के बाद भी डॉ. बंडी नहीं आये। इसी बीच प्रतीक के भाई गौरव ने अन्य डॉक्टर मित्रो को पूरे मामले की जानकारी दे दी। इसके बाद डॉ. बंडी ने डॉ. घनश्याम मित्तल को स्टेथोस्कोप से जांच की और बेटे प्रतीक मित्तल से कहा कि बेटा अब बहुत देर हो चुकी है ये brought dead केस है। जिसके बाद बेटे ने डॉ. बंडी से चेक कर रिवाईव करने के लिये कहा लेकिन डॉ. बंडी ने एक न सुनी वही साथ मे आये राहगीर ने भी कहा कि जिस समय अस्पताल लाया गया था उस समय भी उनकी सांस चल रही थी।
प्रतीक मित्तल के मुताबिक इसके बाद अस्पताल में उनके पिता के मित्र डॉ. अरुण अग्रवाल और डॉ. सुभाष मिश्रा भी आ गए और उन्होंने पूछताछ की तब भी डॉक्टर बंडी ने पहले वाला जबाव ही दिया। तब डॉक्टर अरुण अग्रवाल ने कहा कि अगर हम डॉक्टरों के पास भी कोई ‘ brought dead’ केस आता है तो भी हम उसे रिवाईव करने की कोशिश करते है। इसके बाद डॉ. बंडी खुद को बड़ा जानकार बताकर कहने लगे कि आप बॉडी को ले जा सकते हो। जब उनसे बॉडी हेंड ओवर करने के लेटर की मांग की गई तो डॉ. बंडी ने कहा कि डेथ सर्टिफिकेट चाहिए हो तो आप बॉडी एम. वाय. ले जाओ। इसके बाद मौके की नजाकत को देखते हुए प्रतीक मित्तल अपने पिता की बॉडी को एम.वाय. अस्पताल ले गए जहां मृत्यु प्रमाण पंचनामा बनाया गया और पोस्टमार्टम किया गया।
इस पूरे मामले में डॉ. घनश्याम मित्तल के बेटे प्रतीक मित्तल का आरोप है कि क्रिटिकल समय मे ड्यूटी डॉक्टर और स्टॉफ ने कोशिश की होती तो उनके पिता की जान बच सकती थी। प्रतीक मित्तल का कहना है कि प्राथमिक उपचार मिलना सबका हक है यदि अस्पताल एडमिट न भी करता है तो मरीज का प्राथमिक उपचार करना अस्पताल की जिम्मेदारी है जो सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पष्ट कहा है। इस मामले में ग्रेटर कैलाश हॉस्पिटल और प्रबंधक डॉ.अनिल बंडी के व्यवहार पर भी सवाल उठ रहे हैं। हालांकि इस पूरे मामले में जब मीडिया जगत से जुड़े प्रतीक मित्तल ने पलासिया थाने में शिकायत करने के लिए दरख्वास्त लगाई तो उनकी शिकायत भी नही ली गई। प्रतीक मित्तल ने बताया कि आखिर में पुलिस के आला अधिकारियों को पूरे मामले से अवगत कराने के बाद आज दोपहर को बमुश्किल आवेदन लिया गया है।
इस मामले के सामने आने के बाद एक फिर इंदौर का ग्रेटर कैलाश अस्पताल विवादों में आ गया है। बीते महीने ही डॉ. अनिल बंडी और उनके हॉस्पिटल के सलाहकार डॉ. विवेक श्रीवास्तव का विवाद भी चर्चा का विषय है और ये ही वजह है कि अब जरूरत है अस्पताल प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवालों की जांच करने की।