टिकट वितरण के बाद से ही बीजेपी में जमकर घमासान मचा हुआ है। घोषित प्रत्याशियों के खिलाफ नेताओं की नाराजगी खुलकर सामने आ रही है। वही पार्टी लगातार रुठों को मानने में जुटी हुई है लेकिन हर प्रयास असफलत होते हुए नजर आ रहे है। एक बार फिर इंदौर में भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी का विरोध देखने को मिला है।लालवानी को शहरी नेताओं के बाद अब गांवों में भी विरोध का सामना करना पड़ रहा है।हैरानी की बात तो ये है कि यहां भी अपने ही चुनौती बने हुए है। हालांकि ताई ने खुद लालवानी का मोर्चा संभाल रखा है, लेकिन बावजूद इसके मुश्किलें कम नही हो रही है।वही बैठकों में भी विधायकों ने दूरी बना रखी है।
दरअसल, इंदौर से भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी को शुरुआत में शहरी नेताओं का विरोध झेलना पड़ा, अब गांवों में उन्हें सहयोग नहीं दिया जा रहा। मंगलवार को ग्रामीण क्षेत्र देपालपुर में सुमित्रा महाजन की मौजूदगी में बैठक हुई, जिसमें पूर्व विधायक मनोज पटेल नदारद रहे। बुधवार को सांवेर में हुई बैठक में पूर्व विधायक राजेश सोनकर नहीं आए। उनके करीबी नेता व समर्थक भी बैठक में नहीं पहुंचे। माना जा रहा है कि ग्रामीण क्षेत्र में लालवानी की उम्मीदवारी पर नाराजगी हावी है।
वही राऊ, देपालपुर और सांवेर तीनों ही ग्रामीण विधानसभा सीटों पर लालवानी के सामने चुनौती पहचान के संकट की है।हालांकि ताई का साथ मिलने से लालवानी की एक बड़ी चिंता दूर हो गई है, लेकिन शुरुआती बैठकों में ही बड़े नेताओं का गैरहाजिर रहना परेशानी का कारण बना हुआ है। वैसे महाजन के करीबी प्रेमनारायण पटेल और सांवेर के देवराजसिंह परिहार पूरी तरह साथ हैं। महाजन अपने करीबी नेताओं के साथ मैदान में डटी हुई हैं।ताई के साथ मिलकर नेता लगातार रुठों को मनाने में जुटे हुए है। नाराज नेताओं और लोगों से लगातार संपर्क किया जा रहा है, जहां स्थिति कमजोर लग रही है वहां खुद ताई ढा़ल बनकर खड़ी हो गई है।
इधर विजय मलानी को मनाने में जुटी पार्टी
वही दूसरी तरफ पार्टी ने लालवानी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान करने वाले भाजपा नेता विजय मलानी को मनाना शुरु कर दिया है।पार्टी नेता लगातार उनसे संपर्क कर उन्हें मनाने मे जुटे हुए है। वही निर्दलीय सिंधी नेता परमानंद तोलानी से भी संपर्क किया जा रहा है,ताकी सिंधी वोट ना बंटे।अगर ये दोनों नेता मैदान से पीछे नही हटे तो सिंधी वोटों का जमकर बिखराव होगा, जिसका सीधा नुकसान बीजेपी को होगा, ऐसे में पार्टी चुनाव में कोई रिस्क नही लेना चाहती और उन्हें मनाने में जुटी हुई है। पार्टी को उम्मीद है कि दोनों नेता मान जाएंगे और अपने पैर पीछे खींच लेंगें।