भारत के संविधान पर आधारित किताब और गीत, 32 किलो की पीतल की किताब, अनूप जलोटा ने गाया गीत
इंदौर के लोकेश ने लिखा गीत जिसे सुप्रसिद्ध गायक अनूप जलोटा ने स्वर दिए हैं, 350 लोगों का समूह कर रहा है 193 देशों के संविधान का अध्ययन
Song and book based on The Constitution Of India : आपने अब तक कई गीत सुने होंगे। लेकिन आज हम आपके लिए कुछ अद्भुत और अनोखा लेकर आए हैं। ये एक गीत है जो संविधान पर आधारित है..संविधान में वर्णित मौलिक अधिकार व कर्तव्यों के प्रति जागरूक करते हुए इस गीत की रचना की गई है और इसे गाया है पद्मश्री अनूप जलोटा ने। इसी के साथ संविधान पर आधारित एक किताब बनाई गई है जो पीतल की धातु पर बनी है।
इंदौर में रहने वाले लोकेश राजेश मंगल ने ये गीत लिखा है। लेकिन इसके पीछे और भी कई साथियों का सहयोग है। दरअसल ये एक समूह है जिसमें 350 से अधिक लोग जुड़े हुए हैं। ये समूह मिलकर 193 देशों के संविधान को पढ़ने और समझने का प्रयास कर रहा है। इन देशों में 60 हजार से अधिक भाषाए बोली जाती है और सांस्कृतिक विभिन्नताओं का दुर्लभ दर्शन है। ऐसे में ये लोग मिलकर 193 देशों के संविधान पर एक किताब बना रहे हैं जो 4 फीट की होगी। इसमें 99 पेज होंगे और इसका वजन लगभग 57 किलो होगा। इसमें मुख्य पृष्ठ का वजन 10 किलो होग और 6000 हजार चित्र होंगे। चूंकि 60 हजार से अधिक भाषाएं हैं इसीलिए इस किताब में सिर्फ चित्रों को रखा गया है। नवंबर 2023 से पहले इस किताब को लॉन्च कर दिया जाएगा।
इसी तरह संविधान का अध्ययन करते करते लोकेश के मन में ये विचार आया और उन्होने भारतीय संविधान पर आधारित इस गीत की रचना की। उनका कहना है कि लोगों को अपने अधिकार व कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने के लिए उन्होने ये गीत लिखा है। इनका कहना है कि इस काम के लिए उन्हें वरिष्ठ राजनेता थावरचंद गहलोत जी से बहुत प्रेरणा मिली है। इसी के साथ उन्होने 54 पीतल के पन्नों की ये किताब तैयार की है जिसका वजन 32 किलो है। इसमें महज चित्रों के माध्यम से संविधान की मूल भावना को दर्शाया गया है। इस किताब को 25 सांसदों, 45 विधायकों, 20 कलेक्टर, व 17 श्रेष्ठ संविधान विशेषज्ञों से रायशुमारी के पश्चात तैयार किया गया है। महज 14 घंटे में किताब तैयार की गई और आम लोगों से 10-10 रूपये का धनसंचय कर इसे बनाया है। ये एक अगर दस्तावेज रहे इसी आकांक्षा के साथ इसे पीतल की धातु पर उकेरा गया है। इसमें वर्णित गीत को सुप्रसिद्ध गायक अनूप जलोटा ने गाया है।
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संविधान पर आधारित गीत
हे आंख वो,जो संविधान का दर्शन किया करे।
हे शिश जो लोकतंत्र में वंदन किया करे ।।
बेगार वो मुख है,जो रहे व्यर्थ बातो में।
मुख वो है,जो संविधान का सुमिरण किया करे।।
हीरे मोती से नही शोभा है हाथ की।
हे हाथ जो न्याय का पूजन किया करे।।
मरकर भी अमर नाम है,उस महामानव का जग मे।
जो संविधान के लिए जीवन किया करे।।
ऐसी लागी लगन, नागरिक हो गए मगन।
वो तो गली गली,संविधान गुण गाने लगे।।
बैठी संविधान सभा,रंगी संविधान के रंग।
संविधान पे चर्चा होने लगी।।
कोई रोके नहीं,कोई टोके नही।
नागरिक संविधान गुण गाने लगे।।
अपराधियों को दण्ड दिया,मानो नागरिक को अमृत दिया।
केवल मानव होने पर अनुच्छेद 14 में न्याय दिलाने लगे।।