इंदौर, आकाश धोलपुरे। इंदौर में प्रतीकात्मक कंकालों को रख शुक्रवार सुबह कांग्रेस ने अनूठे तरीके से विरोध कर कई सवाल शिवराज सरकार और ज्योतिरादित्य सिंधिया से पूछे है। दरअसल, कांग्रेस की नाराजगी की वजह है शहर में प्रतिदिन बढ़ रहे संक्रमण के मामले है, वही दूसरी और निजी अस्पतालों की मनमानी के चलते चुंहो द्वारा शव कुतरने के मामले को लेकर भी सवाल उठाए गए है। इधर, शमशानों में शवों के अंतिम संस्कार के लिए घण्टो इंतज़ार को लेकर भी कांग्रेस ने निशाना साधा है।
अनूठे विरोध में कांग्रेस की अलग अलग तख्तियां सवालों से भरी थी, वहीं प्रतीकात्मक शव भी विरोध की उग्रता को बता रहे हैं। विरोध प्रदर्शन के दौरान इंदौर में कांग्रेस ने सीधे जबाव मांगते हुए पूछा कि सड़कों पर कब आओगे महाराज और शिवराज।
प्रदेश कांग्रेस सचिव विवेक खंडेलावल और प्रवक्ता गिरिश जोशी ने विरोध जताया। कांग्रेस के प्रदेश सचिव ने कहा कि शहर मे निरन्तर कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 400 के पार जा रही है, अस्पतालों के हालात ये है कि लाशें पुरानी होकर कंकाल में तब्दील हो रही है। कभी मासूम बच्चों के शव डब्बों में मिल रहे हैं और कभी कोविड से जान गंवाने वाले बुजुर्ग के शव को चूहे कुतर रहे हैं।
इंदौर के अस्पतालों से लेकर शमशानों में स्थितियां अराजक बनी हुई है। ऐसे में 26 सितंबर को सांवेर में कोरोड़ों रुपए का कार्यक्रम किया जा रहा है। महाराज को कांग्रेस ने अनोखे प्रदर्शन के जरिये याद दिलाया कि कांग्रेस की सरकार को उन्होंने धोखे से गिराते समय कहा था की जनता के लिए में सड़कों पर आऊंगा तो आज कांग्रेस ने कंकालों को प्रतीक स्वरूप रख कर पूछा कि कब सड़को पर आओगे महाराज और शिवराज ? कांग्रेस ने सीधे सिंधिया पर निशाना साधते हुए कहा कि सिंधिया को शर्म आना चाहिए। पूरा प्रदेश और इंदौर शहर कोरोना में जकड़ा हुआ है और उन्हें उपचुनाव की चिंता है। कांग्रेस ने सीएम शिवराज और महाराज से मांग की है कि वे इंदौर के कोविड अस्पतालों में जाये और शमशानों के हालात देखे और करोड़ो रूपये के कार्यक्रम की बजाय उन रुपयों से जनता की मदद करें।
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Gaurav Sharma
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इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।