भोपाल।
मध्यप्रदेश में तेजी से फैल रहा संक्रमण आज का सबसे चिंताजनक मुद्दा है। आए दिन कोरोना के मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। वही समय पर लोगों की पहचान ना हो पाना इसका एक बड़ा कारण है।हालांकि सरकार ने निजी तौर पर लोगों को कोरोना टेस्ट की अनुमति दे दी है किंतु टेस्टिंग लैब की कीमत कहीं ना कहीं लोगों की जेब पर भारी पड़ रही है। आईसीएमआर के निर्देश के बाद राज्य शासन ने टेस्टिंग की दर कम करने को लेकर फाइल तैयार की थी लेकिन अब वह फाइल ठंडे बस्ते में चली गई है।
दरअसल संक्रमण के बढ़ते मामले को देखते हुए सरकार तथा प्रशासन ने लोगों को कोरोना के निजी जांच के आदेश दे दिए हैं। लेकिन टेस्टिंग की दरें लोगों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। राज्य सरकार ने शुरुआत में टेस्टिंग किट महंगे होने के कारण जांच दर 4500 रुपए तय किए थे। जिसके बाद तीन महीनों में टेस्टिंग प्रक्रिया में बदलाव आने के बाद आईसीएमआर ने 15 दिन पहले ही राज्यों को निर्देश दिया है कि निजी कोरोना लैब में टेस्टिंग की दरें कम करवाई जाए। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग की जांच हो सके।
जिसके बाद महाराष्ट्र में निजी लैब की दरों को आधा करते हुए 2200 रुपए तय की है। लेकिन राज्य के इंदौर जिले में कोरोना जांच की दर कम करने में ज्यादा सफलता नहीं मिल पाई है। इंदौर प्रशासन ने निजी लैब में जांच करवाने के लिए 2500 रुपए की दर तय की है। बावजूद इसके लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।वहीँ इंदौर सहित राज्य के राजधानी में भी संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। आये दिन प्रदेश में 150 से 200 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। हालांकि स्थिति कुछ हद तक सुधरी है। बावजूद इसके इन दिनों कोरोना से मरने वाले मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।वहीँ राहत की बात ये है कि प्रदेश में रिकवरी रेट में एमपी सिर्फ राजस्थान से पीछे है।