इंदोर।आकाश धोलपुरे।
इंदौर (indore) में बुधवार को कोरोना (corona) का इतना जोरदार धमाका हुआ कि अब हर एक को ये सोचना पड़ सकता है कही ये उसकी खुद की लापरवाही का तो नतीजा नही है ? दरअसल, ये सवाल इसलिए भी मौजूदा दौर में स्वभाविक तौर पर सामने आ रहा है क्योंकि हर रात चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग कार्यालय इंदौर ( Medical and Health Officer Office Indore ) द्वारा आंकड़े इंदौर की चिंता बढ़ाने वाले है। हालांकि इन आंकड़ो के सामने आने के बाद ये तो साफ हो चला है कि वाकई अब इंदौर, अब चिंताजनक हालात की ओर कदम बढ़ाता जा रहा है इसमे चंद मुट्ठीभर लोगो के शामिल होने की बात अब प्रशासन भी मान रहा है।
निगम आयुक्त इंदौर प्रतिभा पाल (Corporation Commissioner Indore Pratibha Pal)ने बुधवार को मीडिया (media) को बताया की इंदौर में हर 90 पॉजिटिव केस में मिनी सब्जी मंडी ( वो ठेले वाले जो सब्जियों का विक्रय एक ही स्थान से कर रहे है ) से तकरीबन 30 से 40 केस और मेडिकल दुकानों के सम्पर्क में आने वाले लोग 20 केस कोरोना पॉजिटिव मरीजो के रूप में सामने आ रहे है जो एक बड़ी चिंता का विषय है। निगम द्वारा भीड़ न लगे इसके लिए रोको – टोको अभियान शुरू कर 19 ज़ोन में ई – रिक्शा के जरिये जरूरी ताकीद की जा रही है और गलती होने पर फाइन भी किया जा रहा है ऐसे में लोग भीड़ न लगने दे और मास्क व फिजिकल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखे तो वो सुरक्षित अपने घर पहुंचेंगे। हालांकि सब्जियां लेने और खाने को लेकर खुद बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ( BJP national general secretary Kailash Vijayvargiya ) भी ताकीद कर चुके है। ऐसे में अब सवाल ये उठ रहा है कि लॉक डाउन किये बगैर कोरोना विस्फोट को जिला प्रशासन इंदौर ( District Administration Indore ) कैसे रोके ? जो एक बड़ी चुनौती है।
दरअसल, निगम प्रशासन शहर के भीतरी क्षेत्र की मिनी सब्जी मंडी पर तो लगाम लगाने में एक हद तक कामयाब रहा है लेकिन चुनौती के रूप में अन्नपूर्णा रोड़ और द्वारकापुरी जैसे क्षेत्रों जैसी शहर के बाहरी इलाको की सब्जी मंडिया है जो कोविड नियमो को धता बता रही है और खुलेआम प्रशासन के आदेशों की अनदेखी ऐसी स्थिर मंडी में हो रही है जबकि प्रशासन ने साफ किया है कि ठेले और वाहनों के जरिये विक्रय करने वाले चलायमान स्थिति में रहे। हालांकि मेडिकल स्टोर पर जाना आम इंसान की मजबूरी है लेकिन यहां पर भी सख्ती बढ़ाने की आवश्यकता है।
अब बात की जाए इंदौर में बुधवार को हुए कोरोना विस्फोट की तो बीते 10 में सबसे ज्यादा मरीज कल ही सामने आए जिनकी संख्या 136 सामने आई है वही कोरोना ने बुधवार तक 280 लोगो की जान ले ली है। इधर, इंदौर में फिलहाल अस्पतालों में इलाज करा रहे कोविड मरीजो की संख्या 1265 है वही डिस्चार्ज किये गए मरीजो की संख्या 4087 बताई जा रही है। बीते 10 दिनों में इंदौर में कोविड को लेकर हालात चिंताजनक हो चले है। जहां 6 जुलाई से लेकर 15 जुलाई तक कोविडसंक्रमण से पीड़ित 756 नए मामले सामने आए है तो दूसरी ओर इन 10 दिनों में कोरोना ने 31 लोगो की जान भी ले ली है। वही इस दौरान 249 लोग ही कोविड को हराकर स्वस्थ होकर घर लौटे है। 6 जुलाई तक अलग अलग अस्पतालो ने जहां 867 मरीजो का इलाज चल रहा था वही सरकारी आंकड़ो के मुताबिक वर्तमान में 1265 पॉजिटिव मरीजो का इलाज जारी है।
औसतन आंकड़े चिंता का सबब
भले ही आपदा प्रबंधन समूह ने प्रशासन के साथ मिलकर सामूहिक रूप से लॉक डाउन न करने का निर्णय सोमवार को लिया था लेकिन 10 दिन की स्थिति पर गौर करे तो इंदौर में वाकई कड़ी सख्ती की जरूरत है। बीते 10 दिनों में करीब औसतन करीब 75 पॉजिटिव केस आये है वही दूसरी और हर रोज करीब 3 लोगो को कोरोना से अपनी जान गंवा चुके है। ऐसे में अब समय आ गया है कि देश के अन्य राज्य व शहरों में दोबारा लगे लॉक डाउन से बचने के लिए इंदौर को स्वच्छता के प्रति दीवानगी की तर्ज पर कोविड के प्रति नफरत को हदे पार कर हर वो मुमकिन कोशिश करनी चाहिए जो कोरोना के फैलाव को रोके। इसके लिए मास्क पहने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करे और सेनेटाइजर का उपयोग करने के साथ ही हाथों को बार बार धोने के साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए। इन सब जरूरी बचाव साधनों के अलावा एक ही स्थान पर भीड़ ना बढ़ाने जैसा काम जिम्मेदारी से हर शहरवासी को करना होगा नही तो फिर से कोई ताला लगेगा और उसको खोलने के लिए चाबी का इंतजार सभी को करना होगा, जो गुम हो चुकी चाबी के ढूंढने के समान होगा।