इंदौर, आकाश धोलपुरे। प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में इन दिनों पोस्टमार्टम रूम में एक नया लेकिन शर्मसार करने वाला सामने आया है। पहले पुरुष का शव नरकंकाल में तब्दील मिला और अब मासूम के शव को लेकर फिर एक बार एमवाय अस्पताल सुर्खियों में है। मासूम शव और पिछले दिनों शव नरकंकाल मामले में एसआईंटी पोस्टमार्टम रूम शुरू की पड़ताल करने पहुंची।
दरअसल, प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल एम.वाय.एच.में इन दिनों मुर्दा, कंकाल बन रहे है। ताजा मामले में बच्चे की लाश में मिलने पर एसआईटी जांच करने पहुंची। एसआईटी ने माना बच्चे के पोस्टमार्टम में हुई देरी के चलते मासूम के शव को पोस्टमार्टम रूम पटक कर रखा गया है।
मानवता के शर्मशार कर देने वाले मामले में एमवाय अस्पताल की बड़ी लापरवाही का खुलासा उस वक्त हुआ जब मीडिया को उस शव की जानकारी मिली। मामले में इंदौर कमिश्नर द्वारा एसआईटी की टीम ने किया। एमवाय अस्पताल और मर्चुरी रूम का दौरा किया और असिस्टेंट कमिश्नर रजनीश सिंह ने और एसडीएम आलोक खरे और नोडल अधिकारी अमित मालाकार ने एमवाय के कर्मचारियों से की पूछताछ की।
इसके बाद मीडिया से बात करते हुए असिस्टेंट कमिश्नर रजनी सिंह ने मीडिया चर्चा में कहा 3 माह के नवजात शिशु का पोस्टमार्टम नहीं हो पाया है। स्टाफ की लापरवाही के चलते पुलिस को सूचना नही दी गई थी।
एसआईटी की टीम कल कमिश्नर पवन शर्मा को एम.वाय. अस्पताल की बंद लिफाफे में एक रिपोर्ट की जांच सौंपेंगी ताकि हर बात का खुलासा हो सके। इस संगीन मामले में मानव अधिकार आयोग ने भी 4 सप्ताह में जवाब मांगा है। लापरवाही सामने आने पर जिम्मेदारों पर गाज गिरने की आशंका जताई जा रही है।