मुर्दा बने कंकाल के बाद अब मिला 3 महीने के बच्चे का शव ,SIT ने माना पोस्टमार्टम में हुई देरी

Gaurav Sharma
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इंदौर, आकाश धोलपुरे। प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में इन दिनों पोस्टमार्टम रूम में एक नया लेकिन शर्मसार करने वाला सामने आया है। पहले पुरुष का शव नरकंकाल में तब्दील मिला और अब मासूम के शव को लेकर फिर एक बार एमवाय अस्पताल सुर्खियों में है। मासूम शव और पिछले दिनों शव नरकंकाल मामले में एसआईंटी पोस्टमार्टम रूम शुरू की पड़ताल करने पहुंची।

दरअसल, प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल एम.वाय.एच.में इन दिनों मुर्दा, कंकाल बन रहे है। ताजा मामले में बच्चे की लाश में मिलने पर एसआईटी जांच करने पहुंची। एसआईटी ने माना बच्चे के पोस्टमार्टम में हुई देरी के चलते मासूम के शव को पोस्टमार्टम रूम पटक कर रखा गया है।

 

मानवता के शर्मशार कर देने वाले मामले में एमवाय अस्पताल की बड़ी लापरवाही का खुलासा उस वक्त हुआ जब मीडिया को उस शव की जानकारी मिली। मामले में इंदौर कमिश्नर द्वारा एसआईटी की टीम ने किया। एमवाय अस्पताल और मर्चुरी रूम का दौरा किया और असिस्टेंट कमिश्नर रजनीश सिंह ने और एसडीएम आलोक खरे और नोडल अधिकारी अमित मालाकार ने एमवाय के कर्मचारियों से की पूछताछ की।

इसके बाद मीडिया से बात करते हुए असिस्टेंट कमिश्नर रजनी सिंह ने मीडिया चर्चा में कहा 3 माह के नवजात शिशु का पोस्टमार्टम नहीं हो पाया है। स्टाफ की लापरवाही के चलते पुलिस को सूचना नही दी गई थी।

एसआईटी की टीम कल कमिश्नर पवन शर्मा को एम.वाय. अस्पताल की बंद लिफाफे में एक रिपोर्ट की जांच सौंपेंगी ताकि हर बात का खुलासा हो सके। इस संगीन मामले में मानव अधिकार आयोग ने भी 4 सप्ताह में जवाब मांगा है। लापरवाही सामने आने पर जिम्मेदारों पर गाज गिरने की आशंका जताई जा रही है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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