इंदौर/आकाश धोलपुरे
मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में सोमवार को विद्युत समस्याओं को लेकर औद्योगिक संगठनों के प्रमुखों ने सोशल डिस्टेसिंग का पालन कर म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के एम.डी. विकास नरवाल से मुलाकात की। बता दें कि आर्थिक राजधानी इंदौर में लॉक डाउन की शुरुआत से ही आर्थिक गतिविधिया ठप पड़ी हुई है। लिहाजा औद्योगिक संगठनों ने अन्य राज्यों की तर्ज पर न्यूनतम शुल्क, बिजली बिलों में छूट सहित अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की।
दरअसल, देशव्यापी लॉकडाउन के बाद उद्योगों की सबसे बड़ी समस्या बकाया टैक्स और विद्युत बिल है जो लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्योगों के सामने किसी बड़े संकट से कम नही है। लॉकडाउन के दौरान उत्पादन ठप होने के बावजूद भी विद्युत बिल का भुगतान करना औद्योगिक संगठनों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।
औद्योगिक संगठनों के प्रमुखों ने विद्युत वितरण कंपनी म.प्र. को बताया कि अन्य राज्यों में कोरोना काल मे उद्योंगो को राहत देने के लिए बिजली बिल में अगले तीन महीने तक न्यूनतम चार्ज नहीं लेने जैसी राहत दी है। साथ ही अगले तीन माह का बिल का भुगतान भी जुलाई माह में बिना किसी पेनल्टी अथवा ब्याज के जमा करने की भी राहत दी है। इसके अलावा इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी अगले पाँच साल के लिए माफ़ करने की पहल की अन्य राज्यों में की गई है।
उद्योगों के सामने खड़े संकट को बचाने के लिये की गई चर्चा के दौरान लघु उद्योग भारती के प्रदेश अध्यक्ष महेश गुप्ता, इंडियन प्लास्टपैक फोरम के अध्यक्ष सचिन बंसल, लघु उद्योग भारती के मालवा संभाग सचिव विनित जैन, जिला अध्यक्ष धनंजय चिंचालकर सहित अन्य संगठन के प्रतिनिधि विद्युत वितरण कंपनी के एमडी विकास नरवाल से मिले। औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने विद्युत विभाग को बताया कि वर्तमान में उद्योग-व्यापार की हालत चिंताजनक है और उद्योगपति आर्थिक रूप से कमजोर हो गए हैं। ऐसे में औद्योगिक जगत को उद्योगों को बचाने के लिए शासन-प्रशासन से बेहतर किये जाने की उम्मीद है ताकि उद्योग, कारखानें एक बार फिर से प्रारंभ किए जा सके।
प्रदेश के सभी निम्न दाब गैर घरेलू एवं औद्योगिक उपभोक्ताओं एवं उच्च दाब टैरिफ एचटी उपभोक्ताओं से माह अप्रैल 2020 के देयकों के लिए उनकी संविदा मांग पर लगने वाले स्थाई प्रभार फिक्स चार्ज की वसूली को माफ करने की मांग करने के साथ ही प्रतिनिधियों ने वर्तमान आपात परिस्थितियों को देखते हुए उपभोक्ताओं से केवल वास्तविक खपत का बिल जारी करने और नियत प्रभार एवं न्यूनतम चार्जेस से उन्हें जब तक ऐसी स्थिति रहती है, तब तक मुक्त रखने का सुझाव भी म.प्र. पश्चिचम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के एम.डी. विकास नरवाल को दिया है।