फिल्म पठान को बैन करने की मांग तेज, शाहरुख़ खान के पुतले को चप्पल मारकर फूंका

Atul Saxena
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Pathan Movie Controversy : शाहरुख़ खान दीपिका पादुकोण की फिल्म पठान का विरोध (Shah Rukh Khan – Deepika’s film Pathan controversy) तेज होता जा रहा है, हिन्दू धर्म को मानने वाले फिल्म के गाने बेशर्म रंग में दीपिका के भगवा रंग के अश्लील कपड़े पहनने से गुस्साये हुए हैं तो इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग शाहरुख़ खान का विरोध जताते हुए इसे इस्लाम की तौहीन बता रहे हैं।

फिल्म पठान को बैन करने की मांग तेज, शाहरुख़ खान के पुतले को चप्पल मारकर फूंका

शाहरुख़ खान के पुतले को महिलाओं ने मारी चप्पल

आज इंदौर में युवाओं ने फिल्म का विरोध जताते हुए शाहरुख़ खान के विरोध में नारेबाजी करते हुए रैली निकाली, उनके हाथ में शाहरुख़ खान का पुतला था, महिलाओं ने पुतले को चप्पलों से पीटा और फिर पुतले को आग लगा दी। युवाओं ने कहा कि फिल्म में दीपिका पादुकोण को भगवा रंग के  कपड़े पहनाकर उसे बेशर्म रंग कहकर सनातन धर्म का अपमान किया गया है जिस एबर्दाष्ट नहीं किया जायेगा, युवाओं ने फिल्म को बैन करने की मांग की है।

ऑल इंडिया मुस्लिम त्योहार कमेटी ने इस्लाम की तौहीन बताया

ऑल इंडिया मुस्लिम त्योहार कमेटी के चेयरमैन औसाफ शाहमीरी खुर्रम ने पठान फिल्म पर बैन की मांग की है। खुर्रम ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि पठान नाम की फिल्म में मजहब ए इस्लाम के कानून और उसूलों का मजाक उड़ाया गया है, बेहूदगी, अश्लीलता और नंगापन दिखाया गया है, साथ ही इस्लाम को बदनाम करने की साजिश की गई है। खुर्रम ने हिंदुस्तान के तमाम मुसलमानों और मुसलमान नौजवानों से इस फिल्म को बहिष्कृत करने की मांग की है।

गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने दी है बैन करने की चेतावनी

गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा (MP HM Dr Narottam Mishra) ने भी फिल्म के गाने बेशर्म रंग को लेकर गंभीर आपत्ति जताई है। नरोत्तम का कहना है कि गाने में इस्तेमाल की गई वेशभूषा आपत्तिजनक है। गाना साफ तौर पर दूषित मानसिकता को दर्शाता है। दीपिका पादुकोण पर निशाना साधते हुए नरोत्तम ने कहा कि दीपिका जेएनयू के मामले में टुकड़े टुकड़े गैंग की समर्थक भी रही हैं। उन्होंने फिल्म निर्माताओं से निवेदन है किया है कि इस गाने में दर्शाए गए दृश्यों और वेशभूषा में बदलाव करें अन्यथा मध्य प्रदेश में इस फिल्म को अनुमति मिलेगी या नहीं हमें इस पर विचार करना पड़ेगा।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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