इंदौर, डेस्क रिपोर्ट। इंदौर में जू से भागा तेंदुआ अभी तक पकड़ा नहीं जा सका है, जबकि उसे भागे तीन दिन हो चुके है, तेंदुए को पकड़ने के लिए वन विभाग और जू प्रबंधन के कर्मचारी बारी-बारी से पिछले तीन दिनों से दिन रात सर्च ऑपरेशन चला कर उसे तलाश रहे है। टीम ने हेलोजन लगाकर भी सर्च किया फिर भी तेंदुए का पता नहीं चल पाया है। जहां-जहां तेंदुए के पग मार्क और खून के निशान मिले, वहां-वहां तीन पिंजरे लगाए गए हैं। इनकी मदद से तेंदुए को पकड़ने की कोशिश की जा रही है। तेंदुए को फंसाने के लिए पिंजरों में मटन रखा गया। इन पर सीसीटीवी रूम से नजर रखी जा रही है। वहीं, जहां-जहां उसका मूवमेंट दिखाई दे रहा है, वहां-वहां हाई मास्क लगाकर रोशनी की गई है। जू में लोगों की एंट्री बंद कर दी गई है।
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अब वन विभाग का अमला मादा तेंदुआ को पकड़ने के लिए ढोल का उपयोग कर रहा है। रविवार दोपहर को टीम के साथ कुछ ढोलक वाले भी शामिल थे, जो वन विभाग की टीम के साथ ढोल बजाते हुए चल रहे थे। उम्मीद की जा रही है कि यदि मादा तेंदुआ कहीं छुप कर बैठी होगी तो ढोल की आवाज से जरूर कुछ हलचल करेगी। इससे उसकी स्थिति का पता चल सकेगा।
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बुरहानपुर से बचाई गई मादा तेंदुआ की खोजबीन में 72 घंटे से भी ज्यादा का समय गुजर चुका है। इसके बावजूद उसका कोई पता नहीं चल सका है। 52 एकड़ में फैले चिड़ियाघर में 200 कर्मचारियों की टीम ने उसकी खोजबीन में जुटी हुआ है। रविवार को भी यह खोज जारी है। वन विभाग ने उसे पकड़ने के लिए 42 सीसीटीवी कैमरों को भी खंगाला, लेकिन इसके बावजूद वह खाली हाथ ही रहा। इन फुटेज में चार बिल्ली और दो कुत्ते कैद हुए। मादा तेंदुआ को पकड़ने के लिए चार जगह पिंजरे लगाए गए हैं, इनमें मटन, चिकन और मुर्गा रखा गया है। साथ ही तीन जगह ट्रैप कैमरे भी लगाए गए हैं। इन सीसीटीवी कैमरों पर आठ लोगों की टीम नजरें लगाकर बैठी है।
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सुबह 4 बजे एक कर्मचारी ने तेंदुए को देखा और गुर्राने की आवाज सुनी। इसके बाद यह बात तय हो गई कि तेंदुआ जू में ही है। इसके बाद शहर में तेंदुए के होने की दहशत से राहत मिली है। जू के प्रभारी डॉ. उत्तम यादव ने भी कैमरे में भागते हुए किसी जानवर की पुष्टि की है, लेकिन उन्होंने अब भी तेंदुए को लेकर स्पष्टता जाहिर नहीं की है। खंडवा, बुरहानपुर और जू की टीमें उसे पकड़ने की कोशिश कर रही हैं। अधिकारियों ने उसके पैर में चोट होने की बात भी कही है। अफसरों ने कहा कि वह ज्यादा लंबी छलांग नहीं लगा सकता, लेकिन चल सकता है। चोट की वजह से उसे संक्रमण फैलने का खतरा भी बना हुआ है।