पूर्व विदेश मंत्री और प्रखर वक्ता सुषमा स्वराज का अनोखा रिश्ता इंदौर के मूक बधिर संगठन से बन गया था जहां वो पाकिस्तान से लौटी हिंदुस्तान के बेटी गीता की खैर खबर लेती रहती थी लेकिन विधि का विधान ऐसा रहा कि जहां मूक बधिर रोज की तरह आराम की नींद ले रही थी उसी वक्त हिंदुस्तान में उनकी पालक ईश्वर की गोद मे हमेशा हमेशा के ले गहरी नींद में सो गई। हालांकि, आज सुबह जैसे ही गीता को पता चला कि उसको हिंदुस्तान लाने वाली माँ अब इस दुनिया मे नही रही तो वह फफक फफक कर रो पड़ी और स्तब्ध हो गई।
दरअसल, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गीता को पाकिस्तान से लाने में महती भूमिका अदा की थी वर्तमान में गीता इंदौर के हरनाम लक्ष्मी खुशीराम बधिर क्षात्रवास मूक बघिर अंगहथन में रह रही है। गीता को आज जैसे ही सुबह सुषमा स्वराज के निधन की खबर लगी तो गीता ने साइन लैंगुएज में कहा की मैं अनाथ हो गई और बीते एक माह से बीमारी के चलते सुषमा जी से उसकी बात नहीं हो पा रही थी। बता दे बीमारी के दौरान ही सुषमा स्वराज ने केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत को गीता की जिम्मेदारी सौंप दी थी अब गीता बैडमिंटन की नेशनल खिलाड़ी बनना चाहती है। मूक बघिर संगठन के ट्रांसलेटर संदीप पंडित ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली पहली सरकार के पहले कार्यकाल में सुषमा स्वराज ने विदेश मंत्री का पद संभालते हुए गहरी छाप छोड़ी. उन्होंने संकट में फंसे भारतीयों की ना सिर्फ मदद की बल्कि विदेशियों को भी मौत के मुंह से भी निकाला।
वही मूक-बधिर गीता को पाकिस्तान से भारत वापस लाने में भी सुषमा स्वराज की सबसे बड़ी भूमिका रही है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयासों के बाद गीता 28 अक्टूबर 2015 को पाकिस्तान से भारत आई थी इसके पहले कराची में ईदी फाउंडेशन गीता की देखभाल कर रही थी। वही उन्होंने बताया कल रात गीता को सुषमा जी के निधन की खबर नही दी गई थी और अब कोशिश की जा रही है कि गीता सुषमा जी की अंतिम यात्रा में शामिल होकर उनके दर्शन कर सके जिसके लिए भारत सरकार के निर्देश का इंतजार किया जा रहा है।
बता दे कि गीता के भारत लौटने के बाद प्रेस कांफ्रेंस कर सुषमा स्वराज ने गीता को ‘हिंदुस्तान की बेटी’ कहा था। सुषमा स्वराज ने गीता की पढ़ाई और ट्रेनिंग हासिल करने के लिए मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में मूक बधिर बच्चों के संस्थान में भिजवाया था। विदेश मंत्री रहते हुए कई बार सुषमा स्वराज ने गीता के परिजनों से मिलाने की भी खूब कोशिश की, उन्होंने कहा था-मैं जब भी गीता से मिलती हूं वह शिकायत करती है और कहती है कि मैडम किसी तरह मेरे माता – पिता से मिलवा दो। हालांकि अपने हर काम को अंजाम तक पहुंचाकर ही दम भरने वाली सुषमा स्वराज को इस बात का मलाल जरूर था कि वो गीता के परिजनों से उसे मिलवा नही पाई औरर उसकी शादी नही देख पाई। फिलहाल, गीता के लिए सुषमा स्वराज का असमय चला जाना किसी बड़े आघात से कम नही है लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए मोदी सरकार दिवंगत सुषमा स्वराज के प्रयासों को अंजाम तक पहुंचा सके।