केस को कमजोर कर जेल नहीं भेजने के बदले प्रधान आरक्षक ने मांगी 5 लाख रुपये की रिश्वत, 50000 रुपये लेते लोकायुक्त ने रंगे हाथ पकड़ा

डीजी लोकायुक्त जयदीप प्रसाद के के निर्देश पर प्रदेश में लोकायुक्त इकाइयां भ्रष्टाचार के विरुद्ध सख्त कार्यवाही कर रही हैं, इसी क्रम में आज इंदौर लोकायुक्त टीम ने कार्यवाहक प्रधान आरक्षक और उसके एक निजी साथी को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है । 

Atul Saxena
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Lokayukta police indore: इंदौर लोकायुक्त पुलिस ने आज एक बार फिर घूसखोर शासकीय कर्मचारी को गिरफ्तार करने में सफलता अर्जित की है ये कर्मचारी पुलिस का प्रधान आरक्षक है जिसने एक प्रकरण को कमजोर कर आरोपी पत्नी को जेल नहीं भेजने का भरोसा देकर 5 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी, लोकायुक्त ने उसे 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ लिया, लोकायुक्त ने इसके एक साथी को भी पकड़ा है।    

लोकायुक्त पुलिस इंदौर कार्यालय से मिली जानकारी के मुतबिक अनूप नगर, इंदौर के सांई अपार्टमेंट, फ्लेट नंबर-102 में रहने वाली भेघा देलवार ने कार्यालय में एक शिकायती आवेदन दिया था जिसमें उन्होंने पुलिस थाना एमआईजी में पदस्थ कार्यवाहक प्रधान आरक्षक अरुण शर्मा पर 5 लाख रुपये रिश्वत मांगने के आरोप लगाये थे।

प्रधान आरक्षक ने इसलिए मांगी 5 लाख रुपये की रिश्वत   

आवेदन में भेघा देलवार ने लिखा कि उसके पति बासिल मंसूरी द्वारा उसके विरुद्ध थाना एमआईजी में मारपीट के प्रकरण में अपराध दर्ज करवाया था, इस प्रकरण की विवेचना अरुण शर्मा द्वारा की जा रही थी, प्रकरण में उसे जेल न भेजने एवं प्रकरण कमजोर करने के एवज में अरुण शर्मा ने 5,00,000/-रुपये रिश्वत की मांग की।

प्राइवेट व्यक्ति के जरिये ली रिश्वत दोनों  गिरफ्तार  

शिकायती आवेदन की जाँच पर रिश्वत मांगे जाने की पुष्टि होने के बाद लोकायुक्त ने ट्रेप प्लान की और आज निर्धारित समय पर लोकायुक्त की टीम आवेदिका भेघा देलवार के घर पहुंच गई यहाँ कार्यवाहक प्रधान आरक्षक अरुण शर्मा तो नहीं पहुंचा बल्कि रिश्वत की पहली क़िस्त 50 हजार रुपये लेने अपने एक प्राइवेट व्यक्ति अयूब खान को भेज दिया , अयूब खान ने रिश्वत की राशि जाकर अरुण शर्मा को दी , जैसे ही राशि अरुण शर्मा के हाथ में पहुंची पुलिस ने दोनों को रंगे हाथ पकड़ लिया।

इंदौर से शकील अंसारी की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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