आईएएस ने सही करायी वर्षों की गलती,” टंट्या मामा डकैत नहीं, जननायक”

Gaurav Sharma
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इन्दौर डेस्क रिपोर्ट। वैश्विक पटल पर आदिवासी ह्रदय सम्राट टंट्या भील के बारे में परोसी जा रही जानकारी को आईएएस अधिकारी विवेक श्रोत्रिय ने सही करवाया है। वर्षों से डकैत के रूप में प्रस्तुत किए जा रहे टंट्या मामा अब जननायक के रूप में जाने जाएंगे।

आईएएस ने सही करायी वर्षों की गलती," टंट्या मामा डकैत नहीं, जननायक" आईएएस ने सही करायी वर्षों की गलती," टंट्या मामा डकैत नहीं, जननायक"
आदिवासी जननायक टंट्या मामा भील का बलिदान दिवस 4 दिसंबर को है। इस अवसर पर इंदौर के नेहरू स्टेडियम में बड़ा कार्यक्रम किया जा रहा है। टंट्या मामा भील की पुण्यतिथि समारोह में खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उपस्थित होंगे। इस कार्यक्रम में इंदौर व उज्जैन संभाग के विभिन्न जिलों के करीब एक लाख जनजाति भाई एकत्रित होंगे। इस कार्यक्रम के ठीक पहले इंदौर विकास प्राधिकरण के सीईओ विवेक श्रोत्रिय ने विकिपीडिया पर परोसी जा रही एक भ्रामक जानकारी को दुरस्त कराया है। दरअसल विकिपीडिया पर टंट्या मामा भील को वर्षों से डकैत बताया जा रहा था। विकिपीडिया एक मुक्त ज्ञानकोष है जिसकी स्थापना 2001 में हुई थी और उस के माध्यम से विश्व भर की जानकारियां पूरे विश्व के लोग एक क्लिक के माध्यम से जान लेते हैं।

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जब विवेक की जानकारी में यह बात आई कि टंट्या मामा के बारे में पूरा विश्व एक डकैत की छवि समझता है तो उन्होंने उसे दुरुस्त करने के लिए विकिपीडिया से पत्राचार किया और ऑनलाइन विकिपीडिया में संशोधित कर टंट्या मामा भील को जननायक और आदिवासियों का हीरो बताया। विवेक के प्रयासों से यह गलती सुधर गई और अब सही जानकारी सर्च करने पर विकिपीडिया पर नजर आ रही है। मालवा, निमाङ और उससे लगे जिलों में टंट्या भील अत्यंत लोकप्रिय हैं और आदिवासियों द्वारा उनकी वीरता के किस्से सुनाए जाते रहे हैं। ऐसे में उन्हें डकैती जैसी गतिविधियों में शामिल होना कहीं ना कहीं आदिवासियों के अपमान के साथ-साथ पूरे विश्व में भ्रामक व गलत जानकारी जाना भी था जिसे विवेक ने दुरूस्त कराया है


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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