इस मामलें में पुलिस ने इसे आत्महत्या बताकर मामला कलोज कर दिया, लेकिन अफसर के रिश्तेदारों ने कोर्ट में साबित किया कि बैंक अफसर बीमार थे। दो साल से घर के बाहर ही नहीं निकले तो वे जहर खरीदकर कैसे ला सकते थे। ऐसे में उन्होंने केयरटेकर पर शक जताया। जिसके बाद फिर कोर्ट ने मामलें की गंभीरता को समझते हुए निर्देश दिए।
यह था मामला
राज मोहल्ला में रहने वाले बैंक अफसर बसंत कुमार वर्मा की छह साल पहले मौत हो गई थी। तब पोस्टमार्टम में मौत की वजह जहर का सेवन बताई गई थी। पुलिस ने आत्महत्या का केस दर्ज किया था, लेकिन उनकी मौत पर भतीजे जितेंद्र विशिष्ट को शक था। उन्होंने कोर्ट में परिवाद लगाया और सबूत जुटाने शुरू किए। जितेंद्र ने कोर्ट में साबित कर दिया कि बसंत कुमार दो साल से घर से बाहर नहीं निकले तो फिर जहर घर में कैसे आया। बसंत वर्मा के रिश्तेदारों को भी केयरटेकर ललिता घर के भीतर नहीं आने देती थी। यदि रिश्तेदार जाते भी थे तो ललिता झूठे केस में फंसाने की धमकी देती थी।
जायदाद के लालच में हत्या
उनकी मौत के बाद केयरटेकर ललिता जैन ने फर्जी दस्तावेज से वसीयत तैयार कर बसंत कुमार की जायदाद भी अपने नाम कर ली। कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने केयरटेकर ललिता जैन, उसके साथी प्रेम सिंह राठौर, मांगीलाल मालवीय, मनोहर डोके के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया है। इनमें से दो आरोपियों की मौत हो चुकी है। ललिता ने जायदाद के लालच में बसंत को जहर देकर मारा।