इंदौर, आकाश धोलपुरे। सोमवार को हुई लोकायुक्त कार्रवाई (Indore Lokayukt Action) के बाद रिश्वतखोर नगर निगम (Indore Municipal Corporation) के जनकार्य विभाग के प्रभारी विजय सक्सेना ने 25 साल की सरकारी नौकरी (Government Job) के दौरान में आय से अधिक संपत्ति बनाई है। भ्रष्टाचार कर हासिल करने के लिए उसने अपने ऑफिस को ही एक तरह से अड्डा बना लिया था।
बताया जा रहा है कि रिश्वतखोर बिना कमीशन के किसी का बिल पास ही नहीं होने देता था इसलिए जिससे भी काली कमाई करनी होती थी, उसे सक्सेना अपने ऑफिस ही बुला लेता था और महिला कर्मचारी के माध्यम से रुपए लेने के बाद उसे अलमारी में रखवा देता था। लोकायुक्त पुलिस द्वारा सक्सेना और महिला कर्मचारी हिमानी वैद्य के मामले में विभागीय कार्रवाई के लिए निगम को एक पत्र लिखा जा रहा है और जल्द ही दोनों को सस्पेंड (Suspended) भी किया जा सकता है।
दरअसल, रिश्वतखोर सक्सेना द्वारा रिश्वत की राशि में से महिला कर्मचारी को भी कुछ राशि दी जाती थी। लोकायुक्त को प्रारंभिक तौर पर उसकी 10 बड़ी संपत्तियों की जानकारी भी मिली है जिसे लेकर तफ्तीश जारी है। सक्सेना की आलमारी से जो 10.68 लाख रुपए मिले हैं, उसके बारे में अभी तक वह स्पष्ट जवाब नहीं दे पाया है कि वो राशि किस मद की है।
वही लोकायुक्त पुलिस को नजदीकी लोगों से पता चला है कि उसने बीते सालों में कुछ जमीनें भी खरीदी है जो दूसरों के नाम पर है। इसके अलावा उसके पास अक्सर ज्यादा नकदी भी रहते थे। ये रुपए वह शाम को अपने साथ घर ले जाता था। इसकी जानकारी कुछ अधिकारियों के पास भी थी। वही लोकायुक्त टीम को उसके कई खातों व एफडी के बारे में भी जानकारी मिली है जिसके बारे में बैंकों को पत्र लिखकर जानकारी जुटाई जाएगी।
इसके साथ ही उसके ऑफिस से मिले दस्तावजों की भी जांच की जाएगी और उनमें ये जानकारी भी जुटाई जाएगी कि क्या पेंडिंग बिल भी कमीशनखोरी के कारण रोके गए थे ? रिश्वतखोर आरोपी के द्वारकापुरी स्थित निवास पर भी छानबीन होने के साथ दस्तावेजों के बारे में जानकारी जुटाई जा रहीं है ताकि उसके काले कारनामे उजागर किये जा सके।