इंदौर, आकाश धोलपुरे। मध्यप्रदेश के इंदौर (Indore) में शुक्रवार को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई थी जिसमे देश के नम्बर 1 निगमकर्मियों ने मानवीयता की हदे लांघकर गरीब और बेसहारा बुजुर्ग महिला व पुरुषों को शहर निकाला करना चाहा था। निगमकर्मी अपने नापाक इरादों को अंजाम भी दे देते वो तो भला हो एक जागरूक नागरिक का जिसने अपनी दुकान का काम छोड़कर निगमकर्मियों की करतूत को मोबाइल के कैमरे में कैद कर लिया और फिर उसे सोशल मीडिया पर वायरल भी कर दिया।
वीडियो बनाते वक्त राजेश जोशी नामक शख्स ने निगमकर्मियों से तमाम सवाल जबाव भी किये जिसके बाद निगमकर्मी राजेश जोशी के आगे हारकर उल्टे पांव बुजुर्गों को लेकर इंदौर की तरफ लौटने को मजबूर हो गए। इधर, इस मामले में निगम ने जहां ब्रजेश लश्करी और विश्वास वाजपेयी को कार्यमुक्त कर दिया वही सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी तत्काल प्रभाव से निगम उपायुक्त प्रताप सोलंकी को निलंबित करने का फरमान जारी भोपाल में अटैच कर दिया।
प्रत्यक्षदर्शी ने बताया पूरा मामला
प्रत्यक्षदर्शी राजेश जोशी ने निगम की करतूतों को कैमरे में कैद कर निगम के अमानवीय रूप को सामने लाकर रख दिया। राजेश जोशी ने बताया ये पूरा मामला शुक्रवार दोपहर 2 बजे ढाई बजे के बीच का है और निगमकर्मी बुजुर्गों को टांगा टोली कर उतार रहे थे। जोशी ने बताया कि जब निगमकर्मियों से पूछा कि बुजुर्गों को यहां क्यों उतार रहे हो तो निगमकर्मियों ने बताया कि सरकार का आदेश है ये सब लोग इंदौर में परेशान कर रहे है और गंदगी फैला रहे है। राजेश जोशी ने बताया कि बुजुर्गों की हालत बहुत खराब थी और करीब 10 से ज्यादा बुजुर्गों को उतारा गया था जिसके बाद निगम की गाड़ी के टर्न लेकर पलटाये जाने के बाद उन्होंने गाड़ी रोकी और उन्हें वापस ले जाने को कहा तब कही जाकर धूर्त निगमकर्मी माने और उन्हें वापस ले जाया गया।
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निगम का दावा- आदेश थे कि बुजुर्गों को रैन बसेरों में छोड़ा जाए
बता दे कि निगमकर्मियो की करतूत के निशान अभी भी मौके पर है और बुजुर्गों के ठंड से बचने के कपड़े सहित बिस्तर मौके पर ही पड़े है। इस मामले के सामने आने के बाद निगम की ओर से मिस हेंडलिंग का दावा कर अपर आयुक्त अभय राजनगांवकर ने कहा था कि आदेश ये दिए गए थे कि बुजुर्गों को रैन बसेरों में छोड़ा जाए लेकिन प्रत्यक्षदर्शी की माने तो गन्दगी फैलाने को लेकर बुजुर्गों को शहर से बाहर किया जा रहा था।
उठ रहे है सवाल
अब सवाल ये उठ रहे है कि स्वच्छता के सर्वेक्षण में नम्बर 1 पर काबिज रहने के लिए इतना सब कुछ करना पड़ता है वही एक सवाल ये भी उठता है कि शुक्रवार को तो वीडियो के जरिये हकीकत उजागर हो गई है लेकिन इसके पहले भी ऐसा कुछ निगमकर्मियों द्वारा किया गया हो तो उस पर जबाव कौन देगा क्योंकि यदि ऐसा हुआ भी होगा तो किसी के पास कोई साक्ष्य नही है लिहाजा, इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच आवश्यक है ताकि अंडे के ठेले को पलटाने से लेकर बुजुर्गों के शहर निकाले जैसे मामले उजागर हो सके।