Indore News : पिंजरा तोड़कर भागे तेंदुएं की तलाश जारी।

Gaurav Sharma
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इंदौर, डेस्क रिपोर्ट। इंदौर के चिड़ियाघर से भागा तेंदुए को पकड़ने की जदोजहद अभी तक जारी है। पर तेंदुए के जू में होने की पुष्टि के बाद जू प्रबंधन ने राहत की साँस ली है। इंदौर के चिड़ियाघर में पिंजरा तोड़कर भागा तेंदुआ अब तक नहीं मिला है और जू और वन विभाग की टीम लगातार तेंदुए को पकड़ने के लिए सर्चिंग अभियान चलाए हुए है, लेकिन अब तक किसी तरह की सफलता टीम को नहीं हासिल हो सकी है। हालांकि राहत की बात यह है की तेंदुए के चिड़ियाघर में होने के ही ही सबूत मिले है।

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जू प्रबंधन ने दावा किया है की सीसीटीवी कैमरे में तेंदुए तस्वीरें कैद हुई है और साथ ही जू के कर्मचारियों ने सुबह चार बजे तेंदुए की गुर्राने की आवाज सुनी है जिसके बाद जू प्रबंधन ने इस बात को लेकर राहत की साँस ली है की तेंदुआ चिड़ियाघर के बाहर नहीं निकला है। इस जानकारी के बाद आम लोगों की सुरक्षा को लेकर चिंता कम हुई है।

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अधिकारियों का कहना है की तेंदुए के पैर में चोट लगी होने से ज्यादा ऊँची छलांग नहीं लगा सकता है। हालांकि घायल होने से वो ज्यादा आक्रामक जरूर हो सकता है। जिसके बाद जू में अलग अलग टीम डंडे और ट्रेंक्यूलाइजर गन लेकर तेंदुए को ढूंढ़ने में लगी हुई है।

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बरहाल जू प्रबंधन ने आमजन की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किसी की भी एंट्री यहाँ बैन की हुई है। गौरतलब है की तेंदुए को बुधवार देर रात बुरहानपुर के जंगलों से घायल अवस्था में रेस्क्यू करके लाया गया था लेकिन उसी रात तेंदुआ पिजरा तोड़कर भाग निकला।

 

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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