Indore News: एमएसएमई में भुगतान के नए नियमों में व्यापारियों को फायदे कम नुकसान अधिक दिख रहे हैं। सरकार ने इस साल से 45 दिनों में एमएसएमई पेमेंट करना अनिवार्य कर दिया गया है। जिसके तहत ड्यू डेट के बाद पेमेंट होने पर खर्च को अमान्य कर दिया जाएगा। इन्हीं मुद्दों को लेकर इंडियन प्लास्ट पैक फोरम ने इंदौर में सेमिनार का आयोजन किया।
MSME का अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान
कार्यक्रम के दौरान संस्था के अध्यक्ष सचिन बंसल ने कहा कि, “हमारे देश में MSME का अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है। लगभग 12 करोड़ लोगों को इससे रोज़गार मिलता है और अर्थव्यवस्था में 30% जीडीपी इस वर्ग का योगदान है। आयकर विभाग द्वारा इस वर्ष से लागू नियम, जिसके तहत 45 दिनों के बाद पेमेंट होने पर खर्च को अमान्य करने से MSME को फायदे के बजाए नुकसान ज्यादा ज्यादा दिख रहे हैं।
क्या हैं नए नियम?
सीए पंकज शाह ने कहा कि, “माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइज से माल खरीदने पर उन्हें अधिकतम 45 दिन में पेमेंट करना है। 45 दिनों की ड्यू डेट के ख़त्म होने पर 31 मार्च 2024 को जिन भी सूक्ष्म और लघु सप्लायर से खरीद के पैसे देन बकाया है, उस खरीद की छूट नहीं मिलेगी। जिससे उस खरीद की राशि पर अतिरिक्त कर देना होगा। आगे उन्होंने कहा, “यह प्रावधान केवल उन व्यापारियों पर लागू होंगे, जो मैन्युफैक्चरिंग या सर्विस प्रवाइडर हैं। ट्रेडर्स पर यह प्रावधान लागू नहीं होता हैं। इस कानून के अंतर्गत अगर ड्यू डेट के बाद पेमेंट किया गया है, तो बैंक रेट का तीन गुना ब्याज भी देना होगा। साथ ही इस तीन गुना ब्याज पर भी टैक्स में छूट नहीं मिलेगी।”
कई व्यापारी कैंसल कर रहें अपना MSME रजिस्ट्रेशन, ये है वजह
पंकज शाह के मुताबिक कई व्यापार में क्रेडिट पीरियड 60 से 90 दिन का होता है। खरीददार को आगे से पेमेंट लेट आता है, ऐसे में पेमेंट प्राप्त किए बिना आगे खरीददार को पेमेंट करने के लिए अतिरिक्त वोर्किंग कैपिटल की आवश्यकता होगी। इससे प्रॉफिट मार्जिन पर भी असर पड़ेगा। इन प्रावधानों के कारण कई व्यापारी अपना MSME रजिस्ट्रेशन कैंसल कर रहें हैं। बड़े खरीददार इस प्रावधान के कारण MSME से माल खरीदने परहेज कर रहें हैं। नए नियमों के अनुसार हर व्यापारी चाहे वो स्वयं MSME हो या नहीं पर अगर वो सूक्ष्म और लघु यूनिट से माल खरीद रहा है, तो उसका खर्च अमान्य होगा। अगर कारोबारियों ने पूर्व में उद्योग आधार लेकर MSME का रजिस्ट्रेशन करवाया था पर उसे जून के बाद उद्यम रजिस्ट्रेशन में अपडेट नहीं किया है, तो वह MSME नहीं माना जाएगा, देरी से पेमेंट मिलने पर यह प्रावधान का लाभ नहीं मिलेगा।
सरकार को भेजे गए ये सुझाव
संस्था द्वारा सरकार को कुछ सुझाव भेजे गए हैं। इस बात की जानकारी संस्था के सचिव अंकित भरुका ने दी।
- इस प्रावधान को एक वर्ष के लिए लंबित कर दिया जाए क्यूंकि इससे व्यापार पर प्रतिकूल असर हो रहा है।
- अगर इसे लागु किया जाए तो इतना संशोधन करें कि अगर किसी व्यापारी ने रिटर्न फाइल करने की तारिख तक भुगतान कर दिया तो खर्च अमान्य नहीं हो।
- करदाता को सुविधा दी जाए, जिससे वह GST डिटेल से चेक कर सकें। यह जान सकें कि व्यापारी MSME में रजिस्टर्ड है या नहीं।